मुंबई, 31 जुलाई (आईएएनएस)। हर साल अगस्त के पहले सप्ताह में विश्व स्तनपान सप्ताह (1-7 अगस्त) मनाया जाता है, जिसका उद्देश्य शिशुओं को कुपोषण से बचाना और उनके मानसिक-शारीरिक विकास को बढ़ावा देना है। विश्व स्वास्थ्य संगठन और यूनिसेफ के सहयोग से यह अभियान स्तनपान के महत्व को रेखांकित करता है, जो बच्चों के स्वस्थ विकास और जीवन रक्षा का सबसे प्रभावी तरीका है।
इस वर्ष की थीम ‘स्तनपान को प्राथमिकता दें: स्थायी सहायता प्रणालियां बनाएं’ है, जिसका उद्देश्य माताओं और शिशुओं के स्वास्थ्य को बेहतर बनाना है। यह थीम माताओं को स्तनपान के लिए प्रोत्साहित करने और पर्यावरण की सुरक्षा के लिए सहायता पर भी ध्यान दिलाती है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन और यूनिसेफ के अनुसार, स्तनपान बच्चों को स्वस्थ रखने का सबसे अच्छा तरीका है। यह शिशुओं को पोषण और रोगों से लड़ने की ताकत देता है, जिससे दस्त और निमोनिया जैसी बीमारियों से बचाव होता है। साथ ही, यह माताओं में स्तन कैंसर, डिम्बग्रंथि कैंसर और टाइप-2 मधुमेह का खतरा कम करता है। वर्तमान में दुनिया भर में 6 महीने से कम उम्र के केवल 48 प्रतिशत शिशुओं को ही पूरी तरह स्तनपान कराया जाता है। पिछले 12 सालों में यह आंकड़ा 10 प्रतिशत बढ़ा है, जिससे लाखों बच्चों की जान बची है। फिर भी साल 2025 तक 50 प्रतिशत का लक्ष्य पाने के लिए और मेहनत चाहिए।
यूनिसेफ के आंकड़ों के अनुसार, स्तनपान दरों में सुधार से हर साल 8.2 लाख बच्चों की जान बचाई जा सकती है। आपात स्थितियों में यह शिशुओं के लिए सुरक्षित और सुलभ भोजन का स्रोत है।
यूनिसेफ के अनुसार, “पिछले 12 वर्षों में दुनिया भर में छह महीने से कम उम्र के उन शिशुओं की संख्या, जिन्हें केवल स्तनपान कराया जाता है, 10 प्रतिशत से ज्यादा बढ़ी है। इसका मतलब है कि दुनिया भर में 48 प्रतिशत शिशु अब जीवन की इस स्वस्थ शुरुआत का लाभ उठा रहे हैं। इसका मतलब है कि स्तनपान से लाखों शिशुओं की जान बच गई है।”
इस कैंपेन का लक्ष्य समाज, ऑफिस और सरकारी नीतियों में ऐसी व्यवस्थाएं बनाना है जो माताओं को स्तनपान के लिए समर्थन दें। बोतलबंद दूध के नुकसान के बारे में जागरूकता फैलाना और कार्यस्थलों पर सहायता बढ़ाना भी इसका हिस्सा है। 2025 की थीम पर्यावरण और मातृ स्वास्थ्य को जोड़ती है, जो स्तनपान को टिकाऊ और पर्यावरण के लिए फायदेमंद बताती है।
जब माताओं को अपने शिशुओं को स्तनपान कराने के लिए आवश्यक सहायता मिलती है, तो सभी को लाभ होता है। आंकड़ों के अनुसार, स्तनपान दरों में सुधार से हर साल 8,20,000 से ज्यादा बच्चों की जान बचाई जा सकती है।
शुरुआती वृद्धि और विकास के इस महत्वपूर्ण दौर में स्तन के दूध में मौजूद एंटीबॉडी शिशुओं को बीमारी और मृत्यु से बचाती हैं। यह आपात स्थिति के दौरान विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, जब स्तनपान शिशुओं और छोटे बच्चों के लिए एक सुरक्षित, पौष्टिक और सुलभ भोजन स्रोत की गारंटी देता है। साथ ही माताओं के लिए कुछ प्रकार के कैंसर और गैर-संचारी रोगों के जोखिम को भी कम करता है।
भारत में इस पूरे सप्ताह आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, आशा कार्यकर्ता और स्वास्थ्य कर्मी माताओं को स्तनपान के फायदे बताएंगी। यह सप्ताह न सिर्फ शिशुओं और माताओं के लिए, बल्कि पर्यावरण और समाज के लिए भी महत्वपूर्ण है।