कानून बनाने या सजा बढ़ाने से समाज में सुधार नहीं होता : प्रो. फैजान मुस्तफा

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पटना, 14 अगस्त (आईएएनएस)। चाणक्य नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर प्रो (डॉ.) फैजान मुस्तफा ने आईएएनएस से खास बातचीत की। इस दौरान उन्होंने दावा किया कि सजा बढ़ाने या कानून बना देने से समाज में सुधार नहीं होता।

प्रो. मुस्तफा ने बातचीत के दौरान कहा कि सजाएं बढ़ाने से या कानून बनाने से समाज में सुधार होता है, यह सोच गलत है। कानून का रोल समाज में सुधार लाने में बहुत कम होता है। 2016 में दिल्ली में निर्भया से हुए गैंगरेप के बाद सड़कों पर प्रदर्शन हुई, आनन-फानन में न्यायमूर्ति जेएस वर्मा की अध्यक्षता में कमेटी बनाई गई, एक महीने में कमेटी से रिपोर्ट मांगी गई, सजाएं बहुत बढ़ा दी गई। इसके बाद भी औरतों के खिलाफ अत्याचार और हिंसा की घटनाओं में कोई कमी नहीं आई। मैंने न्यायमूर्ति जेएस वर्मा को भी यह बात लिखी थी।

उन्होंने कहा कि मैं अक्सर यह लिखता रहा हूं कि सरकार के लिए सबसे आसान कानून बनाना और सजा बढ़ाना है। सांसद में उनकी बहुमत होती है और कानून बड़ी आसानी से बन जाता है। आपकी बहुमत है तो व्हिप जारी कर दें, एक दिन में ही कानून बन जाएगा। लेकिन, समाज में औरतों की इज्जत करना कानून नहीं सिखा सकता। इसके लिए समाज को बदलना होगा और समाज को बदलने के लिए जितनी कोशिश होनी चाहिए, वह नहीं होती। हम अपनी समाज में पीड़िता को ही दोष देते हैं कि तुमने ऐसे कपड़े क्यों पहने थे, तुम रात में क्यों बाहर चली गई थी और तुम बार में क्यों चली गई? ये सब बहुत गलत बातें हैं।

उन्होंने कहा कि देश में हर 44 मिनट में एक रेप हो रहा है, औरतों के विरुद्ध हिंसा हो रही है। हमारे शहरों के बारे में कहा जा रहा है कि औरतों के लिए सबसे असुरक्षित है। इसका मतलब यह है कि हमें कानून से इस समस्या को हल करने से पहले समाज को तैयार करना चाहिए, मर्दों को समझना चाहिए। उन्होंने सवाल करते हुए कहा कि हम औरतों की बॉडी पर सियासत करते हैं। औरतों की आजादी को क्राइम से जोड़ते हैं। यह बात बिल्कुल भी अच्छी नहीं है। सजा बढ़ाने से जुर्म कम नहीं होता।

उन्होंने आगे कहा कि अगर किसी ने हत्या किया है और उसे मालूम है कि मैं बच जाऊंगा तो उसे कोई फर्क नहीं पड़ेगा। दूसरी तरफ अगर किसी को यह पता हो कि, अगर मैंने किसी को एक थप्पड़ भी मारा, तो मुझे दो दिन के लिए जेल जाना ही पड़ेगा, तो वह कभी थप्पड़ नहीं मारेगा। उन्होंने आगे कहा कि क्रिमिनल ट्रायल भी सालों-सालों चलता है, लोगों को सजाएं नहीं मिलती। समाज में बचपन से औरतों की इज्जत मर्दों और लड़कों के दिल में डालें, तो समस्या को हल करने में ज्यादा आसानी होगी।