यूपी के नए कार्यवाहक डीजीपी बने प्रशांत कुमार, अखिलेश यादव ने उठाए सवाल

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लखनऊ, 31 जनवरी (आईएएनएस)। आईपीएस प्रशांत कुमार को बुधवार को उत्तर प्रदेश के कार्यवाहक पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) का चार्ज दे दिया गया। कार्यवाहक डीजीपी विजय कुमार के बुधवार को सेवानिवृत्त होने के बाद प्रशांत कुमार को जिम्मेदारी सौंपी गयी है। वर्ष 1990 बैच के आईपीएस प्रशांत कुमार कार्यवाहक डीजीपी बने हैं।

करीब साढ़े तीन वर्ष से वह कानून-व्यवस्था की जिम्मेदारी संभाल रहे थे। कार्यवाहक डीजीपी की नियुक्ति पर सपा मुखिया अखिलेश यादव ने सवाल उठाए हैं।

प्रशांत कुमार कार्यवाहक डीजीपी की घोषणा होने के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मिले। मुख्यमंत्री ने उन्हें बधाई दी। प्रशांत कुमार योगी सरकार के भरोसेमंद अफसरों में से एक माने जाते हैं। स्पेशल डीजी से पहले वे मेरठ के एडीजी भी रह चुके हैं। करीब दो साल से यूपी पुलिस में कार्यवाहक डीजीपी से काम हो रहा है।

प्रमुख सचिव गृह संजय प्रसाद ने अपने एक आदेश में कहा कि पुलिस महानिदेशक कानून एवं व्यवस्था, उप्र पुलिस महानिदेशक ई.ओ.डब्लू, उप्र लखनऊ पद के दायित्वों के साथ-साथ पुलिस महानिदेशक विभागाध्यक्ष का अतिरिक्त प्रभार स्थायी नियुक्ति होने तक निर्णय लिया गया है। इस पद के लिए अलग से कोई वेतन भत्ता-देय नहीं होगा।

आरके विश्वकर्मा के सेवानिवृत्त होने के बाद विजय कुमार को 31 मई 2023 को कार्यवाहक डीजीपी के रूप में तैनात किया गया था। बिहार के सीवान निवासी प्रशांत कुमार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के पसंदीदा अफसरों में माना जाता है। एडीजी जोन मेरठ रहने के दौरान उन्होंने कई अपराधियों का एनकाउंटर किया था, जिसके बाद उनको एडीजी कानून-व्यवस्था बनाया गया था। उन्होंने प्रदेश के 66 माफियाओं की सूची तैयार कर कानून का शिकंजा कसना शुरू कर दिया। उनके नेतृत्व में एसटीएफ और जिलों की पुलिस ने एनकाउंटर करने का सिलसिला जारी रखा।

प्रशांत कुमार को उनकी बहादुरी और उत्कृष्ट कार्य के लिए तीन बार पुलिस मेडल मिल चुका है। 2020 और 2021 में उन्हें वीरता पुरस्कार दिया गया था। 26 जनवरी को प्रशांत कुमार को गैलेंट्री अवॉर्ड से सम्मानित किया गया। यह चौथी बार है, जब प्रशांत कुमार को ये मेडल मिला है।

यूपी में डीजीपी की नियुक्ति को लेकर अखिलेश यादव ने एक्स पर पोस्ट कर कहा कि लगता है एक बार फिर उप्र को कार्यवाहक डीजीपी मिलने वाला है। जनता पूछ रही है कि हर बार कार्यवाहक डीजीपी बनाने का खेल दिल्ली-लखनऊ के झगड़े की वजह से हो रहा है या फिर अपराधियों के संग सत्ता की सांठगांठ के कारण।