भोपाल : 27 नवंबर/ रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय के विधि विभाग व राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई द्वारा संविधान दिवस के उपलक्ष्य में संविधान जागरूकता सप्ताह का आयोजन किया गया। जिसका समापन विभिन्न प्रतियोगिताओं व राष्ट्रीय संगोष्ठी से हुआ। भारतीय पवित्र ग्रंथ गीता का दर्शन और भारतीय संविधान पर इसका प्रतिबिंब विषय पर आयोजित संगोष्ठी में बतौर मुख्य वक्ता वरिष्ठ शिक्षाविद प्रो अमिताभ सक्सेना ने संबोधित करते हुए श्रोताओं के प्रश्नों के उत्तर भी दिए । श्री सक्सेना ने कहा कि भगवद्गीता भारत के पवित्र ग्रंथों का प्रतिनिधि ग्रंथ है जो हमें सही तरीके से जीवन जीना सिखाता है।
गीता बताती है कि धर्म का अभिप्राय किसी संप्रदाय विशेष के भौतिक अभ्यासों से नहीं है अपितु धर्म का अभिप्राय है अपने कर्तव्य-कर्मों को निस्वार्थ भाव से करते हुए चलना। ‘कर्म ही पूजा’ गीता का सार भी है। इसी प्रकार भारतीय संविधान भी हमारे कर्तव्यों के निर्वहन के प्रति हमें प्रेरित करता है। संविधान में वर्णित हमारे मौलिक कर्तव्य हमें न केवल देश व देश में स्थापित संस्थाओं का सम्मान सिखाते हैं बल्कि देश की नदियों, वनों व वन्यजीवों के प्रति भी सह अस्तित्व की भावना सिखाता है। यह न केवल गीता बल्कि हमारे उपनिषदों का भी सार है जिसका प्रतिबिंब हमें भारतीय संविधान पर दिखाई देता है।
विशिष्ट अतिथि विश्वविद्यालय की प्रभारी कुलपति डॉ संगीता जौहरी ने कहा कि आज कि युवा पीढ़ी को गीता व संविधान दोनों का अध्ययन करना चाहिए। ताकि कोई भी आपको दिग्भ्रमित न कर सके। इस अवसर पर विधि विभाग के डीन डॉ नीलेश शर्मा ने भी संबोधित किया। कार्यक्रम में स्वागत भाषण कार्यक्रम अधिकारी गब्बर सिंह ने व आभार ज्ञापन विभागाध्यक्ष डॉ नाइश ज़मीर ने दिया। कार्यक्रम का संचालन स्वयंसेवक विवेक भास्कर ने किया।