डिप्टी स्पीकर पद की कांग्रेस की मांग अनुचित : भाजपा

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नई दिल्ली, 25 जून (आईएएनएस)। सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच बातचीत विफल होने के बाद भाजपा सांसद ओम बिरला और कांग्रेस सांसद कोडिकुन्निल सुरेश ने मंगलवार को लोकसभा अध्यक्ष चुनाव के लिए नामांकन दाखिल किया। यह पहली बार है जब लोकसभा अध्यक्ष पद के लिए चुनाव होगा।

विपक्ष ने सरकार समर्थित उम्मीदवार ओम बिरला को समर्थन देने पर सहमति जताई थी, बशर्ते कि लोकसभा उपाध्यक्ष का पद विपक्ष को दिया जाए। जाहिर तौर पर दोनों पक्ष में इस बात पर सहमति नहीं बन पाने की वजह से लोकसभा स्पीकर पद के लिए चुनाव की नौबत आई है। जिसके बाद भाजपा हमलावर हो गई है।

भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने कहा कि आज जब हम 25 जून को आपातकाल की 50वीं वर्षगांठ को याद कर रहे हैं, तब ठीक उसी दिन कांग्रेस पार्टी ने संविधान और लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं के प्रति निर्ममता का एक बार फिर से परिचय दिया है। लोकसभा स्पीकर के पद के लिए कोई चुनाव नहीं होता। स्पीकर किसी दल के नहीं होते। उनका चुनाव सर्वसम्मति से होता है। कांग्रेस अब इस पद के लिए भी चुनाव कराना चाहती है।

उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने शर्त रखी है कि वो सरकार समर्थित लोकसभा उम्मीदवार का समर्थन तब करेगी, जब सरकार लोकसभा उपाध्यक्ष का पद विपक्ष को देने पर सहमत होगा। इस तरह की शर्त लोकतंत्र के साथ मजाक है। कांग्रेस पार्टी डिप्टी स्पीकर पद को लेकर संवैधानिक परंपराओं का हवाला दे रही है। अगर ऐसी संसदीय परंपरा रही है तो कांग्रेस नेता राहुल गांधी बताएं कि क्या नेहरू और इंदिरा ने इन नियमों का पालन किया था? क्या उनके अपने परिवार ने उस परंपरा का पालन किया जिसके बारे में वे बात कर रहे है?

1952 से 1969 तक सरकार, सत्ता और डिप्टी स्पीकर का पद कांग्रेस का रहा। पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, कर्नाटक, केरल, तेलंगाना, झारखंड, पंजाब, दिल्ली और हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस और इंडी गठबंधन की सरकारें हैं, वहां डिप्टी स्पीकर बना ही नहीं है और बना भी है तो कांग्रेस या इंडिया गठबंधन का बना है। इनमें से किस राज्य में सत्ता पक्ष ने यह पद विपक्ष को दिया है? प्रोटेम स्पीकर चुनाव की तरह कांग्रेस फिर झूठ बोल रही है। कांग्रेस पार्टी एक परिवार के हित के लिए संविधान और लोकतंत्र के साथ मजाक करती रहती है और इसका जीता जागता प्रमाण आपातकाल से हम लोग देखते आ रहे हैं।

लोकसभा अध्यक्ष पद के लिए सरकार और विपक्ष के बीच आम सहमति बनाने के प्रयास मंगलवार को विफल होने के बाद कांग्रेस नेता केसी वेणुगोपाल ने कहा कि यूपीए शासन के दौरान उन्होंने दस साल तक उपाध्यक्ष का पद एनडीए को दिया था। लोकसभा में परंपरा यह है कि लोकसभा का डिप्टी स्पीकर विपक्ष को दिया जाता है। राजनाथ सिंह ने कल मल्लिकार्जुन खड़गे को फोन किया। मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि हम आपके उम्मीदवार का समर्थन करने को तैयार हैं, लेकिन हम डिप्टी स्पीकर का पद चाहते हैं, जिस पर राजनाथ सिंह ने उनसे कहा कि हम पीएम मोदी से सलाह लेंगे और जवाब देंगे। जब उपाध्यक्ष पद का चुनाव होगा तो उस समय देखा जाएगा।

इंडिया गठबंधन के उम्मीदवार के सुरेश संसद के सबसे वरिष्ठ सदस्य हैं। वो आठवीं बार लोकसभा चुनाव जीते हैं। वह केरल से आते हैं और दलित समाज के बड़े नेता हैं। विपक्ष चाहता था कि उन्हें उपाध्यक्ष बनाया जाना चाहिए। वहीं ओम बिरला लगातार तीसरी बार कोटा-बूंदी निर्वाचन क्षेत्र से सांसद चुने गए हैं। ओम बिरला 17वीं लोकसभा के स्पीकर रह चुके हैं, ऐसे में एक बार फिर एनडीए सरकार ने उन्हें 18वीं लोकसभा में स्पीकर पद का उम्मीदवार बनाया है। उनका जीतना तय माना जा रहा है।