महाराष्ट्र : नाबालिग छात्राओं से छेड़छाड़ पर प्रियंका चतुर्वेदी ने महाराष्ट्र सरकार से पूछा, ‘कब लाओगे शक्ति कानून?’

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मुंबई, 20 अगस्त (आईएएनएस) महाराष्ट्र के बदलापुर जिले में नाबालिग छात्राओं से छेड़छाड़ का मामला सामने आया है। शिवसेना (यूबीटी) नेता एवं राज्यसभा सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने मंगलवार को महिलाओं की सुरक्षा संबंधी ‘शक्ति कानून’ को लागू करने में देरी के लिए महाराष्ट्र सरकार को घेरा।

मुंबई के बदलापुर में दो नाबालिग छात्राओं के साथ स्कूल के ही कर्मचारी द्वारा छेड़छाड़ का मामला सामने आया है। इसे लेकर परिजनों के साथ-साथ आम लोगों में भी आक्रोश का माहौल है। स्कूल प्रशासन पर कठोर कार्रवाई की मांग की जा रही है। मामले की गंभीरता को देखते हुए उप मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने जांच के लिए एसआईटी का गठन कर दिया है।

प्रियंका चतुर्वेदी ने आईएएनएस से बातचीत में कहा, “एक बेटी की मां होने के नाते मैं पीड़ित परिवार की दर्द और पीड़ा समझ पा रही हूं। यह बहुत ही दुखदायी है। हम महिलाओं के इंसाफ की बात करते हैं, लेकिन आज तक इंसाफ नहीं मिल पाया है।

चाहे महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल या दिल्ली हो – कहीं भी महिलाओं की सुरक्षा को प्राथमिकता नहीं दी जाती है। कहा जाता है कि यदि बच्चे घर के बाहर कहीं सुरक्षित रहते हैं, तो वह स्कूल है। लेकिन ये चार साल की बच्चियां जब स्कूल गईं, तो वहीं पर उनके साथ यह अपराध होता है।

राज्य सरकार तब तक अपना मुंह नहीं खोलती है, जब तक जनता आक्रोशित होकर सड़कों पर नहीं उतरती है।

महिला सुरक्षा के लिए महाविकास अघाड़ी के शासनकाल में विधानमंडल द्वारा पारित और राष्ट्रपति के पास लंबित ‘शक्ति कानून’ विधेयक को लेकर प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा कि रक्षाबंधन के मौके पर उन्होंने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को चिट्ठी लिखी थी कि बाला साहब ठाकरे के समय महिलाओं के खिलाफ अभद्रता करने वालों के खिलाफ एक सख्त कानून ‘शक्ति’ पास हुआ था। महाराष्ट्र की बेटियों से हमारी सरकार का वादा था कि ऐसे मामलों की जांच 15 दिन के अंदर पूरी होगी और 30 दिन के अंदर ट्रायल शुरू हो जाएगा। लेकिन वह कानून अभी तक पास नहीं हो पाया।

उन्होंने कहा, “2022 में हमारी सरकार गिराने के बाद देवेंद्र फडणवीस गृह मंत्री बने और उन्होंने वादा किया था कि यह कानून जल्द पास होगा। लेकिन 2024 आ गया है, अब तक कानून नहीं बना।”

शिवसेना (यूबीटी) नेता ने कहा कि महिलाएं इतनी ज्यादा आक्रोशित हैं कि वे कहती हैं, “मुझे लाडली बहन योजना नहीं चाहिए, 1500 रुपये नहीं चाहिए। हमें बेटियों के लिए इंसाफ चाहिए।

उन्होंने कहा, “अब यह सवाल उठता है कि कब तक आप महिलाओं को सिर्फ वोट का साधन बनाएंगे, लेकिन जब सुरक्षा की बात आती है, तो चुप्पी साध लेते हैं। इसी आक्रोश के साथ जनता आज सड़क पर निकली है।