समाज सेवा, युद्ध कौशल में निपुण अहिल्या को न्यायनिष्ठा और प्रजावत्सला होने के कारण मिली थी लोकमाता की संज्ञा

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भोपाल : 30 नवंबर/ विश्वरंग 2025 में चौथे दिन “उत्तर-रंग” कार्यक्रम के अंतर्गत रवीन्द्र भवन परिसर सोमवार की शाम संगीत और रंगमंच की अनूठी सौंध से महक उठा। एक ओर सूफियाना और लोक रस से सराबोर सातवानी गायन ने श्रोताओं को बांधे रखा, वहीं दूसरी ओर लोकमाता अहिल्याबाई होलकर के अद्वितीय जीवन पर आधारित भव्य महानाट्य “अहिल्या रूपेण संस्थिता” ने सभागार को भाव-विभोर कर दिया। पूरे समारोह का संचालन श्री विनय उपाध्याय ने किया।

सुरों में डूबी शाम: सातवानी गायन ने बांधा समां

सांस्कृतिक संध्या की शुरुआत राजीव सिंह एवं उनके साथियों द्वारा प्रस्तुत सातवानी गायन से हुई।
गायन की शुरुआत बंदिश “सांसों की माला…” से हुई, जिसने पहली ही क्षण से श्रोताओं को आध्यात्मिक रस में डुबो दिया। इसके बाद एक के बाद एक प्रस्तुत की गई कृतियों —

  • “मन लागो मेरो यार फकीरी में…”

  • “काहे को ब्याही विदेश…”

  • “जुगनी कहती या…”

  • “दुनिया में बादशाह है वो भी है आदमी…”

— ने सभागार को सुरों से सराबोर कर दिया।

मुख्य गायन राजीव सिंह ने किया, जिनके साथ अमन मलक और रोहित वानखेड़े ने स्वर-संगति की।
संगत में —
सारंगी पर हनीफ हुसैन,
ढोलक पर तनिष्क ठाकुर,
तबले पर शाहनवाज,
ऑक्टोपैड पर इकबाल खान
और कीबोर्ड पर शहीद मासूम ने सधी हुई प्रस्तुति दी, जिससे कार्यक्रम और भी प्रभावशाली बन गया।

लोकमाता अहिल्याबाई होलकर पर भव्य महानाट्य — “अहिल्या रूपेण संस्थिता”

सांस्कृतिक संध्या का दूसरा और सबसे महत्वपूर्ण आकर्षण था लोकमाता अहिल्याबाई होलकर के जीवन पर आधारित दो घंटे का महानाट्य “अहिल्या रूपेण संस्थिता”
अंजनी सभागार में मंचित इस महानाट्य ने दर्शकों को 18वीं सदी के उस दौर में पहुंचा दिया, जब अहिल्याबाई अपने न्याय, करुणा, शौर्य और सुशासन के लिए विख्यात थीं।

निर्देशन और लेखन

  • निर्देशक: प्रियंका शक्ति ठाकुर

  • लेखिका: वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. साधना बलवटे

विशेष बात यह रही कि निर्देशक प्रियंका शक्ति ठाकुर स्वयं मंच पर अहिल्या के रूप में दिखाई दीं और उनके संयत अभिनय ने दर्शकों को अत्यंत प्रभावित किया।

80 कलाकारों की शानदार प्रस्तुति

महानाट्य में कुल 80 कलाकारों ने भाग लिया।
लगभग 120 मिनट की इस प्रस्तुति में कलाकारों ने अहिल्याबाई के जीवन दर्शन, न्यायशैली, शौर्य, नीति, धर्म और समाज-सेवा के विविध आयामों को बेहद सधे अंदाज में मंच पर उतारा।

लाइट एंड साउंड शो का सटीक तालमेल इस नाट्य प्रस्तुति को और अधिक भव्य बनाता रहा, जिससे प्रत्येक दृश्य जीवंत हो उठा।

24 दृश्यों में जीवन का विस्तृत चित्रण

महानाट्य 24 अलग-अलग दृश्यों के माध्यम से आगे बढ़ा, जिनमें अहिल्याबाई होलकर के राजनीतिक, सामाजिक, धार्मिक और प्रशासनिक जीवन के महत्वपूर्ण पड़ावों को दर्शाया गया।

इन दृश्यों में प्रमुख रूप से शामिल थे —

  • बचपन की शिव-भक्ति

  • मल्हारराव होलकर द्वारा प्रशासन में उनकी सहभागिता

  • न्यायप्रियता और प्रजावत्सल स्वभाव

  • युद्ध कौशल और वीरता

  • लोकमाता का स्वरूप

  • समाज उत्थान, आर्थिक विकास के प्रयास

  • मंदिरों का जीर्णोद्धार

  • घाटों का निर्माण, अन्नक्षेत्र और प्याऊ व्यवस्था

हर दृश्य के साथ दर्शक अहिल्याबाई के जीवन आदर्शों और जनसेवा के प्रति समर्पण को गहराई से महसूस कर सके।

बचपन से अंतिम क्षणों तक — एक प्रेरक यात्रा

नाट्य प्रस्तुति में अहिल्याबाई का संपूर्ण जीवन दर्शाया गया —
महाराष्ट्र में जन्म से लेकर होलकर घराने में विवाह, युद्धकला में दक्षता, प्रशासनिक कुशलता, परिवार पर आए संकटों से संघर्ष और अंत में लोकमाता के रूप में प्राप्त सम्मान तक।

भगवान शिव को आराध्य मानने वाली अहिल्या ने विपरीत परिस्थितियों में भी अपने राज्य को सुशासन, न्याय और करुणा के साथ संभाला।
नाटक का अंतिम पड़ाव दर्शकों को यह समझा गया कि क्यों जनता ने उन्हें सदियों से “लोकमाता” की संज्ञा दी है।

विश्वरंग 2025 की यह विशेष संध्या संगीत, संस्कृति और इतिहास का अद्भुत समागम साबित हुई।
एक ओर लोक-संगीत की मधुर राग-लहरियों ने मन को शांति दी, तो दूसरी ओर महानाट्य ने लोकमाता अहिल्याबाई होलकर जैसी महान नायिका के जीवन से प्रेरणा जगाई। रवीन्द्र भवन परिसर का यह यादगार आयोजन दर्शकों के मन में लंबे समय तक छाप छोड़ गया।