‘मन की बात’ के 10 साल पूरे होने पर भावुक हुए पीएम मोदी, कहा – श्रोता ही इस कार्यक्रम के असली सूत्रधार हैं

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नई दिल्ली, 29 सितंबर (आईएएनएस)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 114वीं बार ‘मन की बात’ कार्यक्रम के जरिए देशवासियों को संबोधित कर रहे हैं। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि आज का एपिसोड मुझे भावुक करने वाला है। कारण यह है कि ‘मन की बात’ की हमारी इस यात्रा को 10 साल पूरे हो रहे हैं।

पीएम मोदी ने कहा कि दस साल पहले ‘मन की बात’ कार्यक्रम की शुरुआत 3 अक्टूबर को विजयादशमी के दिन हुई थी। यह कितना पवित्र संयोग है कि इस साल 3 अक्टूबर को जब ‘मन की बात’ कार्यक्रम के दस साल पूरे होंगे, तब नवरात्रि का पहला दिन होगाI इस लंबी यात्रा के कई ऐसे पड़ाव हैं, जिन्हें मैं कभी भूल नहीं सकता I करोड़ों श्रोता हमारी इस यात्रा के ऐसे साथी हैं, जिनका मुझे निरंतर सहयोग मिलता रहा I उन्होंने देश के कोने- कोने से जानकारियां उपलब्ध कराई I श्रोता ही इस कार्यक्रम के असली सूत्रधार हैं।

उन्होंने कहा कि एक धारणा ऐसी है कि जब तक चटपटी बातें न हो, नकारात्मक बातें न हो, तब तक उसको ज्यादा तवज्जो नहीं मिलती है I लेकिन, ‘मन की बात’ ने साबित किया है कि देश के लोगों में सकारात्मक जानकारी की कितनी भूख है। सकारात्मक बातें प्रेरणा से भर देने वाले उदाहरण, हौसला देने वाली गाथाएं, लोगों को बहुत पसंद आती हैं।

पीएम मोदी ने उदाहरण देते हुए कहा कि एक पक्षी होता है ‘चकोर’ जिसके बारे में कहा जाता है कि वह सिर्फ वर्षा की बूंद ही पीता है I ‘मन की बात’ में हमने देखा कि लोग भी चकोर पक्षी की तरह, देश की उपलब्धियों को, लोगों की सामूहिक उपलब्धियों को गर्व से सुनते हैं I ‘मन की बात’ की दस वर्ष की यात्रा ने एक ऐसी माला तैयार की है, जिसमें, हर एपिसोड के साथ नई गाथाएं, नए कीर्तिमान, नए व्यक्तित्व जुड़ जाते हैं I हमारे समाज में सामूहिकता की भावना के साथ जो भी काम हो रहा हो, उन्हें ‘मन की बात’ कार्यक्रम के द्वारा सम्मान मिलता हैI

उन्होंने कहा कि मेरा मन भी गर्व से भर जाता है, जब मैं ‘मन की बात’ के लिए आई चिट्ठियों को पढ़ता हूं I हमारे देश में कितने प्रतिभावान लोग हैं, उनमें देश और समाज की सेवा करने का कितना जज्बा है। लोग निस्वार्थ भाव से सेवा करने में अपना पूरा जीवन समर्पित कर देते हैं। उनके बारे में जानकर मैं ऊर्जा से भर जाता हूं I ‘मन की बात’ की पूरी प्रक्रिया मेरे लिए ऐसी है, जैसे मंदिर जाकर ईश्वर के दर्शन करना। ‘मन की बात’ की हर बात को, हर घटना को, हर चिट्ठी को मैं याद करता हूं, तो ऐसे लगता है, जनता जनार्दन जो मेरे लिए ईश्वर का रूप है, मैं उनका दर्शन कर रहा हूं।