दिल्ली के सनातन धर्म मंदिर पर वक्फ बोर्ड ने ठोका दावा, लोग बोले- 1958 में खरीदी थी जमीन

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नई दिल्ली, 23 सितंबर (आईएएनएस)। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली की बीके दत्त कॉलोनी में स्थित सनातन धर्म मंदिर को वक्फ बोर्ड की जमीन पर बताने वाले दावे पर लोगों की प्रतिक्रिया आई है। उन्होंने वक्फ बोर्ड द्वारा मंदिरों को लेकर किए गए दावों को बेबुनियाद बताया।

श्री श्याम नवोदय संस्कृत संघ के अध्यक्ष संजय अग्रवाल ने आईएएनएस से बातचीत में कहा, “साल 2019 में इसको लेकर पहली भी ऐसी चर्चाएं हुई थी। लेकिन, हमने बताया कि यहां मौजूद श्मशान घाट 70 साल पुराना है। वह किस आधार पर वक्फ की संपत्ति पर दावा ठोक रहे हैं। 1962 से यहां पर एक नेम प्लेट भी लगी हुई है, पिछले 40 सालों से हमारी संस्था इस मंदिर की देखरेख कर रही है।“

सनातन धर्म मंदिर के उपाध्यक्ष मदन भूटानी ने कहा, “वक्फ बोर्ड का दावा झूठा और बेबुनियाद है। हमने सनातन मंदिर की जमीन को भारत सरकार से 1958 में खरीदा था। इस मंदिर से जुड़े सभी जरूरी कागजात हमारे पास मौजूद हैं और यह भी प्रमाण है कि इस मंदिर का उद्घाटन केंद्रीय शहरी विकास मंत्री ने किया था। वक्फ बोर्ड के लोगों के पीछे विदेशी ताकतों का हाथ है।“

मंदिर के सेक्रेटरी अशोक ने कहा, “इस मंदिर को हमारे पूर्वजों ने बनाया है। हमने इस जगह को सरकार से खरीदा और इसका उद्घाटन केंद्रीय मंत्री ने किया था। वो लोग कैसे दावा कर रहे हैं कि मंदिर की जमीन उनकी है। वह ताकत का गलत फायदा उठा रहे हैं।“

सनातन धर्म मंदिर के श्मशान घाट के पंडित राजीव शर्मा ने वक्फ बोर्ड के दावों को झूठा बताया। उन्होंने कहा कि जो दावा जमीन को लेकर किया जा रहा है, वह झूठा है। पिछले 70 साल से श्मशान घाट चल रहा है और मैं पिछले 25 सालों से यहां काम कर रहा हूं।

पंडित अरविंदर गोस्वामी ने आईएएनएस से बातचीत में बताया कि ये बेबुनियाद दावा है और वो लोग झूठ बोल रहे हैं। वह लोग सोचते हैं कि हिंदुओं में फूट डालकर उन्हें तोड़ा जाए। हमारे पास जमीन से जुड़े सभी पुख्ता सबूत हैं। अगर हमें कोई नोटिस मिलेगा तो इस पर एक्शन लिया जाएगा।

स्थानीय शख्स योगराज ने कांग्रेस को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा, “यह सब कांग्रेस ने किया है, क्योंकि उनकी सरकार के दौरान ही वक्फ बोर्ड के कानून में संशोधन किया गया था। फिलहाल इस मामले में मंदिर को कोई नोटिस नहीं मिला है, अगर आता है तो इसका जवाब दिया जाएगा।“

विनीत गोस्वामी ने कहा कि वक्फ का कानून 1970 के आसपास आया था, लेकिन मंदिर की स्थापना 1958 में हो गई थी। वक्फ बोर्ड ने स्कूल से लेकर हाईवे तक पर कब्जा किया है। इनका मकसद साफ है कि वह धीरे-धीरे हिंदुस्तान में मौजूद महंगी जमीनों पर कब्जा करना चाहते हैं।