नोएडा : नामी कंपनियों के सर्टिफिकेट बनाकर करते थे ठगी, 5 महिलाओं समेत 21 आरोपी गिरफ्तार

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नोएडा, 14 अगस्त (आईएएनएस)। नोएडा की थाना सेक्टर 63 पुलिस ने पैसा ठगने वाले गैंग का पर्दाफाश किया है। ये ठग नायका, ईबे, मिंत्रा, ईटीएसवाई आदि नामी ई-कॉमर्स कंपनियों के नाम पर फर्जी सर्टिफिकेट तैयार कर विक्रेताओं के साथ जालसाजी करते थे।

इस मामले में पुलिस ने 5 महिला समेत गिरोह के कुल 21 अभियुक्तों को गिरफ्तार किया है। उनके कब्जे से 12 डेस्कटॉप कंप्यूटर, 12 लैपटॉप, 4 सीपीयू, 2 छोटे सीपीयू, 2 टैब, 28 मोबाइल बरामद किए गए हैं।

डीसीपी शक्ति अवस्थी ने बताया कि थाना सेक्टर 63 और साइबर हेल्प डेस्क पर पिछले कुछ समय से सूचना मिल रही थी कि सेक्टर 63 के डी ब्लॉक में इन्फोबीम सॉल्यूशन्स नाम की एक कम्पनी नामी ई-कॉमर्स कंपनियां जैसे नायका, ईबे, मिंत्रा आदि के नाम से जाली सर्टिफिकेट बनाकर विक्रेताओं के साथ धोखाधड़ी कर रही है।

उन्होंने बताया कि इन्फोबीम सॉल्यूशन्स कम्पनी से ठगी के शिकार विक्रेताओं श्रुति चौधरी, रश्मि गर्ग, अनुज तिवारी, यशा तैमूरी आदि द्वारा अपने साथ उक्त कम्पनी द्वारा की गई धोखाधड़ी के संबंध में थाना सेक्टर 63, नोएडा की साइबर हेल्प डेस्क पर शिकायत की थी।

डीसीपी के मुताबिक 13 अगस्त को नोएडा पुलिस ने इन्फोबीम सॉल्यूशन्स कंपनी के पते पर जाकर चेक किया तो वहां नामी ई-कॉमर्स कंपनियों के फर्जी सर्टिफिकेट फ्रेम कराकर दीवारों पर लगाये गये थे, जिससे कंपनी में आने वाले किसी भी व्यक्ति को यह यकीन हो सके कि यह कंपनी ई-कॉमर्स कंपनियों द्वारा उनके प्लेटफार्म पर वस्तुओं की बिक्री के लिए अधिकृत की गयी है।

कंपनी में प्रयोग हो रहे कम्प्यूटर और लैपटॉप से विभिन्न विक्रेताओं को इन्हीं जाली सर्टिफिकेट की प्रति व्हाट्सएप व अन्य सोशल मीडिया प्लेटफार्म के जरिए प्रसारित की जा रही थी। इसी कड़ी में गिरोह का पर्दाफाश करते हुए अभियुक्तों को गिरफ्तार किया गया है।

पुलिस ने आगे बताया कि गिरोह नामी ई-कॉमर्स कंपनियों के नाम से फर्जी सर्टिफिकेट तैयार करते थे तथा उन्हें उन विक्रेताओं को भेजते थे, जो अपना कोई सामान इन ई-कॉमर्स कंपनियों के प्लेटफार्म पर बेचना चाहते थे। उन्हें इसके माध्यम से यकीन दिलाया जाता था कि यह लोग नामी कंपनियों द्वारा इस प्रकार का कार्य करने के लिए अधिकृत किए गये हैं।

गिरोह के शातिर लोगों से चैट करके कंपनी के खाते में सर्विस देने के नाम पर पैसा लेते थे। कोई अपना पैसा वापस मांगने के लिए दबाव नहीं डाले, इसलिए यह लोग अधिकांश रूप से दूसरे राज्य के लोगों को अपना शिकार बनाते थे ताकि वो यहां आकर कोई शिकायत ना कर सके।