भोपाल : 3 दिसंबर/ रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय (आरएनटीयू) में विश्वरंग के सातवें संस्करण के अंतर्गत आयोजित दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन “स्थानीय से वैश्विक : भारत को विकसित राष्ट्र बनाने में साहित्य और कलाओं की भूमिका” गरिमामयी ढंग से सम्पन्न हुआ। कार्यक्रम का संयोजन मानविकी एवं उदार कला संकाय की डीन डॉ. रुचि मिश्र तिवारी द्वारा किया गया।
श्रीलंका के दृश्य व प्रदर्शन कलाएँ विश्वविद्यालय की अंतरराष्ट्रीय संबंध निदेशक डॉ. कमानी समरसिंघे ने कहा कि विश्वरंग ने कला और संस्कृति के माध्यम से 70 देशों को जोड़ते हुए एक अनूठा सांस्कृतिक–शैक्षणिक सेतु निर्मित किया है।
मानवता, साहित्य और वैश्विक भाषा–विस्तार पर गहन संवाद
प्रथम सत्र में पंजाब विश्वविद्यालय की डीन डॉ. योजना रावत ने मानव को वस्तु की तरह देखने की प्रवृत्ति पर चिंता व्यक्त करते हुए भारतीय साहित्य–कला को मानवता के उत्थान का आधार बताया। उन्होंने हिंदी के वैश्विक प्रसार के लिए “हमें हिंदी से प्यार है” जैसे अभियानों को आवश्यक बताया।
पीईटीसी इंदौर की प्राचार्य डॉ. अल्का भार्गव ने भवानी प्रसाद मिश्र और अटल बिहारी वाजपेयी की रचनाओं के उदाहरणों द्वारा राष्ट्र निर्माण में महिलाओं और युवाओं की निर्णायक भूमिका को रेखांकित किया।
आरएनटीयू के कुलपति प्रो. रवि प्रकाश दुबे ने क्षेत्रीय भाषाओं, लोककला और रंगमंच को सामाजिक परिवर्तन और मानसिक मुक्ति का प्रभावी माध्यम बताया।
वेदों से एआई तक—विकसित भारत की वैज्ञानिक दृष्टि
दूसरे दिन डॉ. रोली शुक्ला का बहुचर्चित व्याख्यान “वेद से तरंगों तक : ॐ से स्वचालन तक” केंद्र में रहा। उन्होंने वेदों के वैज्ञानिक मूल्यों से आगे बढ़ते हुए एआई, नैतिकता और पर्यावरणीय संतुलन को 2047 तक विकसित भारत का आधार बताया।
डॉ. विजय शर्मा ने भारतीय संस्कृति में अनुशासन, साधना और अध्यात्म की अनिवार्यता समझाई
दो दिनों में 40 शोध पत्र, शोध आधारित कला प्रस्तुतियों ने बाँधा मन
पहले दिन डॉ. मुकेश पचौरी और डॉ. सीमा रैजादा की अध्यक्षता में करीब 40 शोध–पत्र प्रस्तुत हुए—
* कृत्रिम बुद्धिमत्ता के सामाजिक प्रभाव
* हिंदी सिनेमा में ऐतिहासिक स्थलों की प्रस्तुति
* आधुनिक कथन–शैली में एनीमे की भूमिका
दूसरे दिन पारंपरिक अकादमिक प्रस्तुतियों के साथ गीत, संगीत और नृत्य पर आधारित शोध–प्रस्तुतियाँ विशेष आकर्षण रहीं।
सम्मेलन की समृद्ध शोध सामग्री के आधार पर दो पुस्तकों के प्रकाशन की घोषणा की गई।
भारत–श्रीलंका शैक्षणिक सहयोग को नई दिशा
कार्यक्रम में आरएनटीयू और श्रीलंका विश्वविद्यालय के बीच शैक्षणिक सहयोग हेतु एमओयू पर हस्ताक्षर किए गए, जिसे भारत–श्रीलंका संबंधों के महत्वपूर्ण शैक्षणिक अध्याय के रूप में देखा गया।
पुरस्कार वितरण
शोध–पत्र श्रेणी :
प्रथम – विश्नु कुमार
द्वितीय – विकास जैन
तृतीय – नूपुर तिवारी
सांत्वना – अशोक गुप्ता
प्रदर्शन कला श्रेणी :
प्रथम – साक्षी शर्मा
द्वितीय – अखिलेश अहिरवार
तृतीय – अमित राय
समापन सत्र में मुख्य अतिथि डॉ. प्रमोद कुमार नायक, कुलपति (एसेक्ट विश्वविद्यालय, हज़ारीबाग) ने आयोजन की सराहना करते हुए कहा कि कला–साहित्य का संरक्षण ही विकसित भारत के सांस्कृतिक भविष्य की नींव है।
सम्मेलन का सार डॉ. रुचि मिश्रा तिवारी ने प्रस्तुत किया और धन्यवाद ज्ञापन डॉ. अंजलि तिवारी द्वारा दिया गया।



