भारतीय संविधान के 75 वर्ष पूरे होने का जश्न मनाने के लिए एक अनोखा संग्रहालय उद्घाटन के लिए तैयार

0
21

नई दिल्ली, 22 नवंबर (आईएएनएस)। हरियाणा के सोनीपत स्थित जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी में भारतीय संविधान और उसमें निहित अधिकारों व स्वतंत्रताओं पर केंद्रित एक अनोखा संग्रहालय 23 नवंबर को उद्घाटन के लिए तैयार है। यह जानकारी विश्वविद्यालय के संस्थापक कुलपति प्रोफेसर सी. राज कुमार ने दी।

गुरुवार शाम को इस पहल की घोषणा करते हुए प्रो. राज कुमार ने बताया कि यह संग्रहालय भारतीय संविधान को अपनाए जाने की 75वीं वर्षगांठ के मौके पर शुरू किया जा रहा है। इस पहल के जरिए उन लगभग 300 सदस्यों को सम्मानित किया जाएगा, जिन्होंने संविधान सभा का हिस्सा बनकर हमारे संविधान का मसौदा तैयार किया। यह उनकी महान उपलब्धि का उत्सव है, जो आज भी प्रासंगिक और विकसित हो रहा है।

भारतीय संविधान दिवस, जिसे राष्ट्रीय कानून दिवस भी कहा जाता है, हर साल 26 नवंबर को मनाया जाता है। भारतीय संविधान को 26 नवंबर 1949 को अपनाया गया और 26 जनवरी 1950 को लागू किया गया।

इस संग्रहालय का नाम ‘संविधान संग्रहालय और अधिकार एवं स्वतंत्रता अकादमी’ रखा गया है। इसका उद्घाटन इस सप्ताह लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला, हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी, और केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल द्वारा किया जाएगा।

यह खास तरह का संग्रहालय एक अनोखा संसाधन केंद्र होगा। इसमें डिजिटल प्रदर्शनियों की भरमार है। यह एक गतिशील और विकसित होने वाला स्थान है, जिसे कानून और संविधान के क्षेत्र में नवीनतम घटनाओं के साथ अपडेट किया जा सकता है।

संग्रहालय में भारत के विभिन्न हिस्सों से लाई गई कलाकृतियों और सौंदर्यपूर्ण डिजाइनों के माध्यम से भारतीय विविधता का प्रतिनिधित्व किया गया है। यह भारत की एकता और संविधान में निहित आदर्शों को दर्शाता है।

साथ ही, यह संग्रहालय पिछले 75 वर्षों में भारतीय संविधान के विकास और मील के पत्थरों को भी दर्शाएगा।

इस संस्थान के निर्माण में करीब 600 लोग जुड़े थे, जिनमें क्यूरेटर, कलाकार और मूर्तिकार शामिल हैं। इसका उद्घाटन इस शनिवार को होगा, और इसके बाद यह आम जनता के लिए खुला रहेगा। वीसी ने बताया कि दिसंबर से यहां प्रवेश के लिए केवल एक सरल पंजीकरण प्रक्रिया की आवश्यकता होगी।

डॉ. राज कुमार ने इस संग्रहालय के पांच मुख्य उद्देश्यों पर बात की। उन्होंने बताया कि इसका उद्देश्य “नागरिक शिक्षा के विचार को आगे बढ़ाना” है। उन्होंने कहा कि पहले स्कूलों में पढ़ाया जाने वाला विषय ‘नागरिक शास्त्र’ अब लगभग गायब हो चुका है। यह विषय संविधान और उसके महत्व को समझाने के लिए पढ़ाया जाता था। संग्रहालय का एक लक्ष्य इसे फिर से बढ़ावा देना है।

उन्होंने आगे कहा, “संविधान तक सबकी पहुंच को लोकतांत्रिक बनाना” भी एक उद्देश्य है। संविधान केवल वकीलों और न्यायाधीशों के लिए नहीं है; यह हर आम नागरिक के लिए है। हर व्यक्ति को हमारे इतिहास, स्वतंत्रता संग्राम और संविधान की रचना की प्रक्रिया को जानना चाहिए।

संग्रहालय का तीसरा उद्देश्य संविधान सभा के सदस्यों को श्रद्धांजलि देना और उन्हें याद करना है। उन्होंने कहा कि हम बी.आर. अंबेडकर, सरदार पटेल, जवाहरलाल नेहरू और मौलाना आजाद जैसे कुछ नामों को जानते हैं, लेकिन संविधान सभा में 300 और अद्वितीय व्यक्ति थे।

चौथा उद्देश्य यह है कि लोकतंत्र और कानून के शासन जैसे महत्वपूर्ण संस्थागत विचारों को समझें और उन पर चर्चा करें।

और अंत में, पिछले 75 वर्षों में अधिकारों और स्वतंत्रताओं के विकास को समझना है। इसलिए इस संग्रहालय का नाम रखा गया है: ‘संविधान संग्रहालय और अधिकार एवं स्वतंत्रता अकादमी’।