रांची, 29 फरवरी (आईएएनएस)। झारखंड हाईकोर्ट ने सरायकेला जिला निवासी एक व्यक्ति की रैयती जमीन पर सरकारी भवन बनाने की शिकायत वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए सख्त आदेश जारी किया है। कोर्ट ने कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा कि सरकार के अफसर लैंड माफिया की तरह काम कर रहे हैं।
अदालत ने जमीन के बदले मुआवजा भुगतान के साथ-साथ जबरन निर्माण कराने वाले जिम्मेदार अफसर के वेतन या पेंशन से पांच लाख रुपए वसूलकर जमीन के मालिक को भुगतान करने को कहा है।
याचिका दुर्गा हेंब्रम नामक शख्स ने दायर की थी। इसमें उन्होंने शिकायत की थी कि उनकी 9 डिसमिल जमीन पर सरकार के अफसरों ने जबरदस्ती भवन निर्माण करा दिया। इसके लिए उन्हें कोई मुआवजा भी नहीं दिया गया।
गुरुवार को इस याचिका पर हुई सुनवाई के दौरान सरायकेला-खरसावां जिले के उपायुक्त सशरीर कोर्ट में उपस्थित हुए, जबकि राज्य के भू-राजस्व एवं भवन निर्माण सचिव ने ऑनलाइन हाजिरी दर्ज कराई।
कोर्ट ने सरकार के अफसरों पर कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा कि जिस गरीब आदमी के पास अपनी आवाज सक्षम अधिकारी तक पहुंचाने का कोई तरीका नहीं है, उसकी जमीन पर अधिकारी कब्जा कर भवन निर्माण करा ले रहे हैं। ऐसे में सरकार के अफसरों और लैंड माफिया में क्या फर्क रह गया है?
कोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया कि तीन महीने के भीतर दुर्गा हेंब्रम को जमीन के बदले मुआवजे का भुगतान करें और जबरन निर्माण करने वाले अफसर या एजेंसी को चिन्हित कर उनसे पांच लाख जुर्माना वसूलकर प्रार्थी को दें। कोर्ट ने दोषी अफसर को चिन्हित करने के लिए सेवानिवृत्त ज्यूडिशियल ऑफिसर की वन मैन कमेटी बनाने का भी निर्देश दिया। इस कमेटी की फीस भी जिम्मेदार अफसर या एजेंसी से वसूलने का निर्देश दिया गया है।