पटना, 9 अक्टूबर (आईएएनएस)। बिहार की सियासत में चुनावी सरगर्मी तेज होते ही दल-बदल का दौर भी शुरू हो गया है। बिहार सरकार के पूर्व मंत्री और जेडीयू के वरिष्ठ नेता लक्ष्मेश्वर राय ने एक बार फिर राष्ट्रीय जनता दल (राजद) का दामन थाम लिया है। उनके पार्टी में शामिल होने से महागठबंधन खेमे में उत्साह देखा जा रहा है।
राजद में शामिल होने के बाद लक्ष्मेश्वर राय ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू पर तीखा प्रहार किया। उन्होंने कहा, “जेडीयू में अब दलितों और पिछड़ों की कोई सुनवाई नहीं है। पार्टी अब वैसी नहीं रही जैसी पहले हुआ करती थी। तेजस्वी यादव अति पिछड़ों और पिछड़ों की राजनीति के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध हैं।”
उन्होंने कहा कि बिहार में बढ़ते भ्रष्टाचार और तानाशाही के माहौल को लेकर जनता बदलाव चाहती है। लोगों ने मन बना लिया है कि इस बार सरकार बदलनी है। तेजस्वी यादव के नेतृत्व में हम बिहार के विकास में अपनी सहभागिता सुनिश्चित करेंगे। अगर पार्टी चाहेगी तो हम चुनाव जरूर लड़ेंगे।
राजद के राष्ट्रीय महासचिव अब्दुल बारी सिद्दीकी ने इस मौके पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “कारवां बढ़ रहा है। सामाजिक न्याय और धर्मनिरपेक्षता की लड़ाई हम लोग बहुत पहले से लड़ते आए हैं। लक्ष्मेश्वर राय कर्पूरी ठाकुर के समर्थक रहे हैं और अब हमारी जमात की लड़ाई को मजबूत करने के लिए हमारे साथ आए हैं।”
सिद्दीकी ने कहा कि आने वाले दिनों में और भी नेता राजद में शामिल होंगे, क्योंकि जनता अब बदलाव चाहती है। उन्होंने कहा, “तेजस्वी यादव की हर घर नौकरी जैसी घोषणाएं केवल नारे नहीं हैं, बल्कि ये वादे हैं जिन्हें हमारी सरकार बनने के बाद धरातल पर उतारा जाएगा। हम जो कहते हैं, वह करते हैं।”
इस बीच, बिहार विधानसभा चुनाव से पहले ‘इंडिया गठबंधन’ में सीट बंटवारे को लेकर चल रही चर्चाओं पर कांग्रेस सांसद अखिलेश प्रसाद सिंह ने कहा कि “सीटों पर चर्चा जारी है लेकिन कोई विवाद नहीं है। एक-दो सीटों को लेकर बातचीत चल रही है पर जल्द ही सब कुछ साफ कर दिया जाएगा।”
उन्होंने दावा किया कि महागठबंधन पूरी तरह एकजुट है, जबकि एनडीए में मतभेद दिखने लगे हैं। मांझी नाराज हैं और चिराग पासवान चुप हैं। इसके विपरीत महागठबंधन में सब कुछ ठीक है। मुख्यमंत्री का चेहरा तेजस्वी यादव हैं और उनके अलावा कोई विकल्प नहीं है।