नई दिल्ली, 16 अक्टूबर (आईएएनएस)। दिल्ली विधानसभा अध्यक्ष विजेंद्र गुप्ता ने गुरुवार को विधानसभा परिसर में दिल्ली विश्वविद्यालय के कैंपस लॉ सेंटर-2 के प्रथम और द्वितीय वर्ष के लॉ स्टूडेंट्स से बातचीत की।
एक आधिकारिक बयान में कहा गया कि छात्रों ने भारत में विधायी संस्थाओं की कार्यप्रणाली और ऐतिहासिक विकास को समझने के लिए अपने शैक्षणिक कार्यक्रम के तहत विधानसभा का दौरा किया।
उन्होंने विधानसभा अध्यक्ष के साथ विधानसभा भवन का भी दौरा किया, जिन्होंने व्यक्तिगत रूप से उन्हें ऐतिहासिक परिसर में मार्गदर्शन किया।
गुप्ता ने युवा प्रतिभाओं का स्वागत किया और विधायी प्रक्रिया, संवैधानिक ढांचे और दिल्ली विधान सभा की गौरवशाली विरासत के बारे में बहुमूल्य जानकारी साझा की।
बातचीत के दौरान अध्यक्ष ने छात्रों को विधानसभा भवन के समृद्ध इतिहास के बारे में जानकारी दी तथा बताया कि इसकी उत्पत्ति 20वीं सदी के आरंभ में हुई थी, जब 1912 में दिल्ली भारत की राजधानी बनी थी। उन्होंने बताया कि किस प्रकार पुराना सचिवालय भवन, जो लुटियंस दिल्ली के पूर्ण होने से पहले केन्द्रीय विधान सभा के रूप में कार्य करता था, भारत के संसदीय इतिहास का अभिन्न अंग बन गया।
उन्होंने भारत की विधायी परंपराओं और लोकतांत्रिक मूल्यों को आकार देने में गोपाल कृष्ण गोखले और लाला लाजपत राय जैसे प्रख्यात नेताओं के योगदान को भी याद किया। उन्होंने ने इस बात पर प्रकाश डाला कि 22 एकड़ में फैला वर्तमान विधानसभा परिसर देश के सबसे बड़े विधायी परिसरों में से एक है।
उन्होंने बालकृष्णन समिति की सिफारिश पर अनुच्छेद 239एए के तहत दिल्ली की अनूठी संवैधानिक स्थिति के बारे में विस्तार से बताया, जो राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र को 70 सदस्यों की विधानसभा प्रदान करता है।
गुप्ता ने दिल्ली की शासन संरचना के विकास के बारे में भी बात की – एक केंद्र शासित प्रदेश से लेकर 1993 से अपनी स्वयं की निर्वाचित विधानसभा तक।
विधानसभा अध्यक्ष ने छात्रों को वर्तमान आठवीं विधानसभा, उसकी संरचना और दिल्ली की विधायी यात्रा में ऐतिहासिक मील के पत्थरों के बारे में जानकारी दी।
उन्होंने छात्रों को भारत की लोकतांत्रिक संस्थाओं पर गर्व करने और संविधानवाद एवं लोक सेवा की भावना को आगे बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित किया।