पटना, 9 अक्टूबर (आईएएनएस)। बिहार के गोपालगंज की बरौली विधानसभा सीट एक बार फिर से सुर्खियों में है। सामान्य वर्ग की यह सीट गोपालगंज लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आती है। भौगोलिक रूप से यह सीट गोपालगंज शहर से लगभग 15 किलोमीटर दक्षिण-पूर्व में स्थित है। इसके अंतर्गत बरौली और मांझा प्रखंड के अलावा बैकुंठपुर प्रखंड की कुछ पंचायतें शामिल हैं। निकटतम रेलवे स्टेशन गोपालगंज और मीरगंज हैं। यह इलाका सड़क और रेल संपर्क से जुड़ा हुआ है।
बरौली का इलाका पश्चिमी गंगा के मैदानी क्षेत्र में आता है, जहां की जलोढ़ मिट्टी बेहद उपजाऊ मानी जाती है। यहां बड़े पैमाने पर धान, गेहूं, मक्का और गन्ने की खेती होती है। यहां की अर्थव्यवस्था का मुख्य आधार कृषि है। पिछले कुछ सालों में सड़क और बिजली के क्षेत्र में सुधार हुआ है। हालांकि, युवाओं के लिए स्थानीय स्तर पर रोजगार की कमी अभी भी चुनौती बनी हुई है।
बरौली विधानसभा क्षेत्र ने अब तक 17 चुनाव देखे हैं। शुरुआती दशकों में यहां कांग्रेस का दबदबा रहा। कांग्रेस ने सात बार यहां से जीत दर्ज की। कांग्रेस के दिग्गज नेता और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री अब्दुल गफूर इस क्षेत्र से चार बार विधायक बने। इसके बाद वक्त ने करवट ली और 2000 से अब तक हुए छह में से पांच चुनाव में भाजपा ने जीत दर्ज की। हालांकि, 2015 में राजद ने भाजपा से यह सीट छीन ली। इसके बाद 2020 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के रामप्रवेश राय ने राजद को हराकर इस सीट को दोबारा अपने कब्जे में ले लिया।
बरौली सीट की राजनीति जातीय समीकरणों पर टिकी है। यहां सवर्ण (भूमिहार, ब्राह्मण और राजपूत) मतदाता निर्णायक भूमिका में हैं। वहीं, यादव और मुस्लिम राजद के परंपरागत वोटर माने जाते हैं। यही कारण है कि यह सीट हर चुनाव में त्रिकोणीय मुकाबले की साक्षी बनती रही है। यह सीट इसलिए भी अहम है क्योंकि यह लालू प्रसाद यादव के गृह जिले गोपालगंज में है।
2024 के चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार, बरौली क्षेत्र की कुल जनसंख्या 5,19,444 है, जिसमें 2,64,223 पुरुष और 2,55,221 महिलाएं हैं। वहीं, कुल मतदाताओं की संख्या 3,14,892 है। मतदाताओं में 1,59,670 पुरुष, 1,55,207 महिलाएं और 15 थर्ड जेंडर शामिल हैं।