पटना, 9 अक्टूबर (आईएएनएस)। बिहार का गयाजी एक ऐसा शहर है जो आध्यात्मिकता और इतिहास का केंद्र रहा है। फल्गु नदी के किनारे बसा इस शहर के तीन ओर पहाड़ियां हैं। यह वही पवित्र स्थल है जहां प्रभु श्रीराम, माता सीता और लक्ष्मण ने अपने पिता राजा दशरथ का पिंडदान किया था। इसके बाद से हर साल लाखों की संख्या में श्रद्धालु अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए यहां पिंडदान करने आते हैं।
इस शहर का नाम गयासुर राक्षस से जुड़ा है, जिसे भगवान विष्णु ने पराजित किया था। गयाजी स्थित विष्णुपद मंदिर में भगवान विष्णु के चरणचिह्न आज भी मौजूद हैं, जिनकी पूजा की जाती है। यह मंदिर हिंदू और बौद्ध दोनों धर्मावलंबियों के लिए श्रद्धा का केंद्र है। हिंदू इसे विष्णु के चरण मानते हैं, जबकि बौद्ध इसे बुद्ध के चरणचिह्न कहते हैं।
गया न केवल हिंदुओं का बल्कि बौद्धों का भी तीर्थ स्थल है। कहा जाता है कि यहीं भगवान बुद्ध ने अग्नि पूजक ग्रामवासियों को आदित्यपर्याय सूत्र का उपदेश दिया था, जिसके बाद अनेक लोगों ने बौद्ध धर्म अपना लिया।
गया का उल्लेख ऋग्वेद में वर्णित किकट राज्य के रूप में मिलता है, जो इसकी प्राचीनता का प्रमाण है। 1764 के बक्सर युद्ध में अंग्रेजों की विजय के बाद बिहार की दीवानी के अधिकार ईस्ट इंडिया कंपनी के पास चले गए। 1865 में गया को एक स्वतंत्र जिले के रूप में मान्यता मिली। साल 1976 में गया को विभाजित कर औरंगाबाद और नवादा जिलों का गठन किया गया। 1981 में गया, नवादा, औरंगाबाद और जहानाबाद को मिलाकर मगध प्रमंडल की स्थापना हुई। आज गया मगध प्रमंडल का मुख्यालय और बिहार की राजधानी पटना के बाद दूसरा सबसे बड़ा शहर है।
गया की अर्थव्यवस्था कृषि पर आधारित है, लेकिन छोटे उद्योगों की भूमिका भी बड़ी है। यहां के प्रमुख घरेलू उद्योगों में अगरबत्ती निर्माण, पत्थर की नक्काशी, मिठाई निर्माण, वस्त्र उद्योग और प्लास्टिक उत्पाद शामिल हैं।
2024 के चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार गया शहर विधानसभा क्षेत्र की जनसंख्या 4,60,628 है, जिसमें 2,36,963 पुरुष और 2,23,665 महिलाएं हैं। वहीं, कुल मतदाताओं की संख्या 2,75,184 है। मतदाताओं में 1,43,364 पुरुष, 1,31,816 महिलाएं और 4 थर्ड जेंडर शामिल हैं।
1957 में अस्तित्व में आई गया टाउन विधानसभा सीट गया लोकसभा क्षेत्र की छह विधानसभाओं में से एक है। यह सीट लंबे समय से भाजपा का गढ़ है। कांग्रेस ने आखिरी बार 1985 में यह सीट जीती थी। उसके बाद से भाजपा के प्रेम कुमार लगातार जीत दर्ज कर रहे हैं। 2020 के विधानसभा चुनाव में प्रेम कुमार ने लगभग 66,000 वोट प्राप्त किए, जबकि कांग्रेस प्रत्याशी अखौरी ओंकार नाथ उर्फ मोहन श्रीवास्तव को करीब 54,000 वोट मिले थे।
अब 2025 में एक बार फिर मुकाबला दिलचस्प होने जा रहा है। भाजपा अपनी जीत दोहराने को लेकर आश्वस्त है। वहीं, कांग्रेस के मोहन श्रीवास्तव भी फिर से मैदान में उतरने की तैयारी में हैं। मोहन श्रीवास्तव का कहना है कि अगर पार्टी मुझ पर भरोसा जताती है तो मैं इस सीट को महागठबंधन की झोली में डाल सकता हूं।