आधुनिक हिंदी साहित्य के स्तंभ ‘भीष्म साहनी’, ‘तमस’ में दिखा भारत-पाकिस्तान बंटवारे का दर्द
नई दिल्ली, 10 जुलाई (आईएएनएस)। हिंदी साहित्य के प्रमुख स्तंभों की बात होती है तो भीष्म साहनी का जिक्र होना लाजिमी है। वे आधुनिक हिंदी साहित्य के एक प्रमुख स्तंभ थे, जिनकी रचनाएं सामाजिक, मानवीय मूल्यों और भारत-पाकिस्तान विभाजन की त्रासदी को गहराई से बयां करती हैं। साहनी की लेखनी में मार्क्सवादी चिंतन और मानवतावादी दृष्टिकोण का संगम दिखाई देता है, जो उनकी कहानियों और उपन्यासों को कालजयी बनाता है।
साहित्य, संस्कृति और संवेदना के प्रतीक थे ‘कहानी के जादूगर’ चन्द्रधर शर्मा गुलेरी
नई दिल्ली, 6 जुलाई (आईएएनएस)। साहित्य जगत के ध्रुव तारा चन्द्रधर शर्मा गुलेरी हिंदी के उन चमकते सितारों में से एक हैं, जिन्होंने अपने अल्प जीवनकाल में ही अमिट छाप छोड़ी। आधुनिक हिंदी साहित्य के 'द्विवेदी युग' के इस महान साहित्यकार ने अपनी रचनाओं विशेषकर कहानी 'उसने कहा था' के माध्यम से कथा साहित्य को नई दिशा दी। उनकी रचनाएं आज भी पाठकों के दिलो-दिमाग पर गहरी छाप छोड़ती हैं।
हिंदी रंगमंच की शान है असगर वजाहत का नाटक ‘जिन लाहौर नइ वेख्या ओ...
नई दिल्ली, 4 जुलाई (आईएएनएस)। जब भी भारत-पाकिस्तान विभाजन के दर्द और उसकी साहित्यिक अभिव्यक्ति की बात होती है, तो असगर वजाहत का नाम खुद ही जेहन में उभरता है। उनका नाटक ‘जिन लाहौर नइ वेख्या ओ जम्याइ नइ’ हिंदी रंगमंच का एक ऐसा मील का पत्थर है, जो 1947 के विभाजन की त्रासदी को न केवल गहरी संवेदनशीलता के साथ उकेरता है, बल्कि मानवता और सांप्रदायिक सौहार्द का एक शक्तिशाली संदेश भी देता है।
बिहार के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने ‘सचित्र रामकथा’ का किया विमोचन
पटना, 3 जुलाई (आईएएनएस)। बिहार के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने गुरुवार को बिहार चैंबर ऑफ कॉमर्स में आयोजित एक समारोह में 'सचित्र रामकथा' का विमोचन किया। यह पुस्तक बच्चों को मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के आदर्शों से जोड़ने का भावनात्मक प्रयास मानी जा रही है।
भारतीय साहित्य के ‘जनकवि’ थे बाबा नागार्जुन, लेखनी के जरिए समाज को दिया नई...
नई दिल्ली, 29 जून (आईएएनएस)। भारतीय साहित्य में बाबा नागार्जुन एक ऐसी शख्सियत हैं, जिन्होंने अपनी लेखनी से न केवल साहित्य को समृद्ध किया, बल्कि तत्कालीन समाज का आईना भी पेश किया। उनका असली नाम वैद्यनाथ मिश्र था, हिंदी साहित्य में 'नागार्जुन' और मैथिली में 'यात्री' के नाम से वह विख्यात हुए।
जयंती विशेष: ‘काशी विद्यापीठ’ के संस्थापक शिवप्रसाद गुप्त का योगदान अनुपम, ‘भारत माता मंदिर’...
वाराणसी, 27 जून (आईएएनएस)। स्वतंत्रता सेनानी, परोपकारी और साहित्यकार के साथ ही शिक्षा की अलख जगाने वाले क्रांतिकारी शिवप्रसाद गुप्त की 28 जून को जयंती है। 1883 में जन्मे गुप्त ने भारत के स्वाधीनता संग्राम को न केवल आर्थिक और संगठनात्मक तौर पर खड़ा करने में मदद की, बल्कि अपनी दूरदर्शिता से देश की सांस्कृतिक और शैक्षिक विरासत को भी समृद्ध किया। वाराणसी में स्थापित ‘महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ’ और ‘भारत माता मंदिर’ के निर्माण में ऐतिहासिक योगदान देने के साथ राष्ट्रीय चेतना को जागृत करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
1975 की इमरजेंसी के 50 साल : पीएम मोदी ने ‘द इमरजेंसी डायरीज’ में...
नई दिल्ली, 25 जून (आईएएनएस)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश में इमरजेंसी के 50 साल पूरे होने पर अपनी भूमिका से जुड़ी एक किताब को सोशल मीडिया पर साझा किया है। उन्होंने ‘द इमरजेंसी डायरीज’ में आपातकाल (1975-1977) के दौरान अपने सफर को साझा किया है।
हिस्ट्री दैट इंडिया इग्नोर्ड : आजादी के संघर्ष को नई दृष्टि से देखने को...
नई दिल्ली, 22 जून (आईएएनएस)। वरिष्ठ पत्रकार प्रेम प्रकाश की नई पुस्तक 'हिस्ट्री दैट इंडिया इग्नोर्ड' देश की आजादी के संघर्ष पर एक नई और तथ्यपरक दृष्टि पेश करती है। यह पुस्तक स्वतंत्रता संग्राम की पारंपरिक धारणाओं को चुनौती देती है, विशेष रूप से महात्मा गांधी की भूमिका को लेकर स्थापित मान्यताओं पर सवाल उठाती है।
विष्णु प्रभाकर जयंती विशेष : हिंदी साहित्य के जरिए ‘अर्द्धनारीश्वर’ का पाठ पढ़ाने वाले...
नई दिल्ली, 20 जून (आईएएनएस)। ‘मौन ही मुखर है कि वामन ही विराट है…’ हिंदी साहित्य का अमर नाम विष्णु प्रभाकर हैं। उन्होंने अपनी रचनाओं में इस लाइन के सार को उतारा था, जो बिना शोर किए समाज कि तत्कालीन समस्याओं पर चोट करती है। आधुनिक हिंदी साहित्य में अपनी कालजयी रचनाओं से उन्होंने साहित्य जगत के विकास में न केवल अहम योगदान दिया बल्कि पाठकों के दिलों में भी खास स्थान बनाने में सफल रहे।
जयंती विशेष : सुभाषचंद्र आर्य ऐसे बने थे हिंदी साहित्य का चमकता सितारा ‘मुद्राराक्षस’
नई दिल्ली, 20 जून (आईएएनएस)। हिंदी साहित्य के एक ऐसे नक्षत्र, जिन्होंने अपनी लेखनी से दलित-बहुजन समाज की आवाज को बुलंद किया, सुभाषचंद्र आर्य उर्फ ‘मुद्राराक्षस’ की जयंती 21 जून को है। उनकी साहित्यिक यात्रा और सामाजिक सरोकारों से भरा जीवन आज भी लाखों लोगों को प्रेरित करता है।