“Fleeting Feet” काव्य संग्रह का विमोचन, डॉ. ममता एक्का की कविताओं में जीवन के...
भोपाल : 13 जुलाई / शासकीय हमीदिया महाविद्यालय, भोपाल की अंग्रेज़ी विभाग की सहायक प्राध्यापक डॉ. ममता एक्का द्वारा रचित काव्य संग्रह “Fleeting Feet”...
पीएम मोदी ने राज्यसभा के लिए मनोनीत चार प्रतिष्ठित व्यक्तियों को दी शुभकामनाएं
नई दिल्ली, 13 जुलाई (आईएएनएस)। देश के चार प्रतिष्ठित व्यक्तियों को राज्यसभा के लिए मनोनीत किया गया है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने संविधान के तहत प्रदत्त अधिकारों का इस्तेमाल करते हुए चार हस्तियों को राज्यसभा के लिए नामित किया, जिनमें वरिष्ठ अधिवक्ता उज्जवल निकम, केरल के प्रख्यात सामाजिक कार्यकर्ता सी. सदानंदन मास्टर, भारत के पूर्व विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला और इतिहासकार मीनाक्षी जैन शामिल हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इन सभी मनोनीत सदस्यों को शुभकामनाएं दी हैं।
शब्दों से संवेदना गढ़ने वाली कवयित्री, हिंदी-अंग्रेजी साहित्य की सेतु निर्माता
नई दिल्ली, 12 जुलाई (आईएएनएस)। जब शब्द संवाद से कहीं बढ़कर संवेदना बन जाए, जब भाषा किसी एक सीमित परिधि की मोहताज न रहकर वैश्विक हो जाए और जब एक स्त्री अपनी लेखनी से दो संस्कृतियों के बीच पुल बना दे, तब वह नाम लिया जाता है सुनीता जैन का।
ओडिया भाषा को होगा लाभ, प्रसार के लिए एआई तकनीक का हो इस्तेमाल: धर्मेंद्र...
भुवनेश्वर, 12 जुलाई (आईएएनएस)। केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने शनिवार को एआई तकनीक पर जोर देते हुए कहा कि इसका सटीक प्रयोग करने से ओडिया साहित्य और भाषा का प्रसार होगा। केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने शनिवार को ये बात रमादेवी महिला विश्वविद्यालय सभागार में आयोजित ओडिया साहित्य की प्रख्यात हस्ती और सांस्कृतिक प्रतीक बिद्युत प्रभा देवी के शताब्दी समारोह में कही।
आधुनिक हिंदी साहित्य के स्तंभ ‘भीष्म साहनी’, ‘तमस’ में दिखा भारत-पाकिस्तान बंटवारे का दर्द
नई दिल्ली, 10 जुलाई (आईएएनएस)। हिंदी साहित्य के प्रमुख स्तंभों की बात होती है तो भीष्म साहनी का जिक्र होना लाजिमी है। वे आधुनिक हिंदी साहित्य के एक प्रमुख स्तंभ थे, जिनकी रचनाएं सामाजिक, मानवीय मूल्यों और भारत-पाकिस्तान विभाजन की त्रासदी को गहराई से बयां करती हैं। साहनी की लेखनी में मार्क्सवादी चिंतन और मानवतावादी दृष्टिकोण का संगम दिखाई देता है, जो उनकी कहानियों और उपन्यासों को कालजयी बनाता है।
साहित्य, संस्कृति और संवेदना के प्रतीक थे ‘कहानी के जादूगर’ चन्द्रधर शर्मा गुलेरी
नई दिल्ली, 6 जुलाई (आईएएनएस)। साहित्य जगत के ध्रुव तारा चन्द्रधर शर्मा गुलेरी हिंदी के उन चमकते सितारों में से एक हैं, जिन्होंने अपने अल्प जीवनकाल में ही अमिट छाप छोड़ी। आधुनिक हिंदी साहित्य के 'द्विवेदी युग' के इस महान साहित्यकार ने अपनी रचनाओं विशेषकर कहानी 'उसने कहा था' के माध्यम से कथा साहित्य को नई दिशा दी। उनकी रचनाएं आज भी पाठकों के दिलो-दिमाग पर गहरी छाप छोड़ती हैं।
हिंदी रंगमंच की शान है असगर वजाहत का नाटक ‘जिन लाहौर नइ वेख्या ओ...
नई दिल्ली, 4 जुलाई (आईएएनएस)। जब भी भारत-पाकिस्तान विभाजन के दर्द और उसकी साहित्यिक अभिव्यक्ति की बात होती है, तो असगर वजाहत का नाम खुद ही जेहन में उभरता है। उनका नाटक ‘जिन लाहौर नइ वेख्या ओ जम्याइ नइ’ हिंदी रंगमंच का एक ऐसा मील का पत्थर है, जो 1947 के विभाजन की त्रासदी को न केवल गहरी संवेदनशीलता के साथ उकेरता है, बल्कि मानवता और सांप्रदायिक सौहार्द का एक शक्तिशाली संदेश भी देता है।
बिहार के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने ‘सचित्र रामकथा’ का किया विमोचन
पटना, 3 जुलाई (आईएएनएस)। बिहार के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने गुरुवार को बिहार चैंबर ऑफ कॉमर्स में आयोजित एक समारोह में 'सचित्र रामकथा' का विमोचन किया। यह पुस्तक बच्चों को मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के आदर्शों से जोड़ने का भावनात्मक प्रयास मानी जा रही है।
भारतीय साहित्य के ‘जनकवि’ थे बाबा नागार्जुन, लेखनी के जरिए समाज को दिया नई...
नई दिल्ली, 29 जून (आईएएनएस)। भारतीय साहित्य में बाबा नागार्जुन एक ऐसी शख्सियत हैं, जिन्होंने अपनी लेखनी से न केवल साहित्य को समृद्ध किया, बल्कि तत्कालीन समाज का आईना भी पेश किया। उनका असली नाम वैद्यनाथ मिश्र था, हिंदी साहित्य में 'नागार्जुन' और मैथिली में 'यात्री' के नाम से वह विख्यात हुए।
जयंती विशेष: ‘काशी विद्यापीठ’ के संस्थापक शिवप्रसाद गुप्त का योगदान अनुपम, ‘भारत माता मंदिर’...
वाराणसी, 27 जून (आईएएनएस)। स्वतंत्रता सेनानी, परोपकारी और साहित्यकार के साथ ही शिक्षा की अलख जगाने वाले क्रांतिकारी शिवप्रसाद गुप्त की 28 जून को जयंती है। 1883 में जन्मे गुप्त ने भारत के स्वाधीनता संग्राम को न केवल आर्थिक और संगठनात्मक तौर पर खड़ा करने में मदद की, बल्कि अपनी दूरदर्शिता से देश की सांस्कृतिक और शैक्षिक विरासत को भी समृद्ध किया। वाराणसी में स्थापित ‘महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ’ और ‘भारत माता मंदिर’ के निर्माण में ऐतिहासिक योगदान देने के साथ राष्ट्रीय चेतना को जागृत करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।