Tuesday, December 23, 2025
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जयंती विशेष : ‘हम घिरे हैं गिरे नहीं’ बताने वाले समकालीन शब्दकार

नई दिल्ली, 21 दिसंबर (आईएएनएस)। हिंदी साहित्य के समकालीन कवियों में पंकज सिंह का नाम प्रमुखता से लिया जाता है। उनकी कविताएं संघर्ष, विद्रोह और मानवीय संवेदनाओं से भरी हुई हैं। 'हम घिरे हैं गिरे नहीं' जैसी पंक्तियां उनके साहसी और बेबाक स्वभाव को दर्शाती हैं।

‘चार्ल्स डिकेन्स’ की एक किताब जिसने क्रिसमस को इंसानियत का त्योहार बना डाला

नई दिल्ली, 18 दिसंबर (आईएएनएस)। शांति, प्यार और खुशियों का त्योहार क्रिसमस करीब है। ईसा मसीह को समर्पित इस दिन पर विशेष इंतजाम किए जाते हैं। वर्षों पहले इसमें खुशियों को एड करने की एक कोशिश चार्ल्स डिकेन्स ने की। एक ऐसी कहानी रची जिसने लोगों की सोच बदली और उस सोच ने इस पर्व को मनाने के तरीके को काफी हद तक बदल डाला।

यादों में अदम : ‘समय से मुठभेड़’ करने वाला शायर, जिसने फाइलों में ‘गांव...

नई दिल्ली, 17 दिसंबर (आईएएनएस)। 'काजू भुने पलेट में, व्हिस्की गिलास में, उतरा है रामराज विधायक निवास में।' जब यह शेर पहली बार हिंदी गजल की महफिलों से निकलकर आम आदमी की जबान पर चढ़ा होगा, तब किसी को अंदाजा नहीं रहा होगा कि इस तीखे व्यंग्य के पीछे का चेहरा कितना विनम्र और जमीन से जुड़ा है। यह आवाज न किसी बुर्जुआ स्टूडियो से निकली थी, न किसी अकादमिक गलियारे से। यह गर्जना थी, उस 'धरतीपुत्र कवि' की, जिसने अपनी कलम को हाकिमों की तकरार के लिए उठाया और अपनी खेती को कभी नहीं छोड़ा। वे अदम गोंडवी थे।

जेन ऑस्टिन: रोमांस की रानी, जिनकी 19वीं सदी में लिखी कहानियां आज भी दिल...

नई दिल्ली, 15 दिसंबर (आईएएनएस)। 'हर्टफोर्डशायर की उस नृत्य सभा में, जब मिस्टर डार्सी अपने संकोची और अभिमानी स्वभाव के साथ प्रवेश करते हैं और एलिजाबेथ बेनेट उन्हें पहली नजर में नापसंद कर लेती हैं...' वहीं से प्राइड एंड प्रेजुडिस की कहानी आगे बढ़ती है। यह सिर्फ प्रेम कथा की शुरुआत नहीं होती, बल्कि समाज, वर्ग और आत्मसम्मान पर जेन ऑस्टिन की सूक्ष्म टिप्पणी भी सामने आती है। इसी सादे लेकिन अर्थपूर्ण दृश्य में जेन ऑस्टिन की लेखनी की पूरी ताकत दिखाई देती है।

दिल्ली विधानसभा स्पीकर ने प्रधानमंत्री मोदी को विधानसभा संसदीय विरासत की पुस्तक भेंट की

नई दिल्ली, 12 दिसंबर (आईएएनएस)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को दिल्ली विधानसभा के स्पीकर विजेंद्र गुप्ता से मुलाकात की। इस दौरान स्पीकर ने उन्हें दिल्ली विधानसभा की संसदीय विरासत पर आधारित एक खास कॉफी टेबल बुक भेंट की।

‘अवसर तेरे लिए खड़ा है…’ राष्ट्रकवि की एक पंक्ति ने भारत के स्वतंत्रता आंदोलन...

नई दिल्ली, 11 दिसंबर (आईएएनएस)। 'अवसर तेरे लिए खड़ा है, फिर भी तू चुपचाप पड़ा है...' सन 1912 के आसपास, जब यह पंक्ति एक दुबले-पतले और शांत स्वभाव के कवि की लेखनी से निकली, तो उन्हें शायद ही अंदाजा था कि यह आने वाले दशकों में भारत की राष्ट्रीय चेतना का संकल्प-मंत्र बन जाएगी।

प्रथम अन्तरराष्ट्रीय मैक्समूलर अलंकरण–2025 अलंकरण से सम्मानित हुए संतोष चौबे

भोपाल : 9 दिसंबर/ वरिष्ठ कवि–कथाकार, निदेशक, विश्व रंग एवं रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय के कुलाधिपति श्री संतोष चौबे को साझा संसार, नीदरलैंड्स के 'प्रथम...

स्मृति शेष : प्रकृति, प्रेम और सामाजिक यथार्थ को छूने वाले शास्त्री, बनारस ने...

नई दिल्ली, 8 दिसंबर (आईएएनएस)। हिंदी साहित्य के प्रगतिशील युग के सबसे मौलिक और जनधर्मी कवियों में त्रिलोचन शास्त्री (मूल नाम वासुदेव सिंह) का नाम स्वर्णिम अक्षरों में लिखा जाता है। आज जब हिंदी कविता बाजारी चमक-दमक और खोखले नारों की शिकार हो रही है, त्रिलोचन की कविताएं याद दिलाती हैं कि सच्ची प्रगतिशीलता नारे में नहीं, जीवन की गहराई में बसती है।

स्मृति शेष ‘मंगलेश’ : ‘पहाड़ पर लालटेन’ जलाकर ‘नए युग में शत्रु’ तलाशता शब्दशिल्पी

नई दिल्ली, 8 दिसंबर (आईएएनएस)। एक कवि, जो हमेशा घर वापस लौटने का रास्ता याद रखना चाहता था, वह साल 2020 से ही भौतिक रूप से हमारे बीच नहीं हैं। लेकिन उनकी कविता की पंक्तियां जीवित हैं। उन्होंने एक बार लिखा था, "मैं चाहता हूं कि स्पर्श बचा रहे... मैं कभी नहीं भूलना चाहता, वापस घर जाने का रास्ता।" मंगलेश डबराल की यह आवाज, आज भी, हर पाठक के भीतर एक उम्मीद की तरह जलती लौ है।

अकेलेपन से अर्जित संवेदना और समाज के प्रति अडिग प्रतिबद्धता; साहित्यकार रघुवीर सहाय के...

नई दिल्ली, 8 दिसंबर (आईएएनएस)। रघुवीर सहाय एक ऐसे साहित्यकार थे जिनका साहित्य की सभी विधाओं पर समान अधिकार था। इन्होंने अपनी लेखनी से साहित्य के क्षेत्र में विशेष योगदान दिया। रघुवीर सहाय को एक कवि के रूप में तो जाना-सराहा गया, पर कहानीकार के रूप में इन्हें ज्यादा पहचान न मिल सकी।

खरी बात