नई दिल्ली, 10 अक्टूबर (आईएएनएस)। केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने शुक्रवार को सीजीएचएस, मेरठ के अतिरिक्त निदेशक डॉ. अजय कुमार और कार्यालय अधीक्षक लवेश सोलंकी समेत तीन लोगों के खिलाफ रिश्वतखोरी के एक गंभीर मामले में आरोप पत्र दायर किया। तीसरे आरोपी की पहचान एक निजी व्यक्ति रईस अहमद के रूप में हुई है। यह आरोप पत्र एक विशेष सीबीआई अदालत में दायर किया गया।
मामले की शुरुआत 12 अगस्त को हुई थी, जब मेरठ स्थित एक प्रतिष्ठित निजी मेडिकल ग्रुप ने सीबीआई में शिकायत दर्ज कराई थी। शिकायतकर्ता मेरठ और आसपास के इलाकों में कई अस्पताल संचालित करता है। उसने आरोप लगाया था कि सीजीएचएस के पैनल से उनके अस्पतालों को न हटाने के लिए डॉ. अजय कुमार और लवेश सोलंकी ने 50 लाख रुपए की रिश्वत की मांग की थी।
शिकायत मिलने के बाद, सीबीआई ने आरोपों की पुष्टि की और आरोपियों को रंगे हाथों पकड़ने के लिए एक जाल बिछाया। शिकायतकर्ता और आरोपियों के बीच हुई बातचीत के बाद वे 50 लाख रुपए की रिश्वत की पहली किस्त के रूप में 5 लाख रुपए लेने के लिए तैयार हो गए।
12 अगस्त को सीबीआई की टीम ने अपनी योजना के तहत कार्रवाई करते हुए दोनों लोक सेवकों, डॉ. अजय कुमार और लवेश सोलंकी, तथा निजी व्यक्ति रईस अहमद को शिकायतकर्ता से 5 लाख रुपए की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार कर लिया।
गिरफ्तारी के बाद, सीबीआई ने आरोपियों के आवासीय परिसरों पर भी तलाशी अभियान चलाया। इस तलाशी के दौरान, अतिरिक्त निदेशक डॉ. अजय कुमार के घर से 29.50 लाख रुपए की नकद राशि और कई अन्य आपत्तिजनक दस्तावेज बरामद हुए, जो मामले में उनकी संलिप्तता को और पुख्ता करते हैं।
सीबीआई ने अपनी जांच के दौरान विभिन्न मौखिक, दस्तावेजी और डिजिटल साक्ष्य एकत्र किए। जांच एजेंसी के अनुसार, इन सबूतों से आरोपियों द्वारा आपराधिक षड्यंत्र रचने, एक-दूसरे को उकसाने और अवैध रूप से रिश्वत की मांग करने की पुष्टि होती है। लगभग दो महीने की विस्तृत जांच के बाद सीबीआई ने तीनों आरोपियों के खिलाफ अपना आरोप पत्र न्यायालय में प्रस्तुत कर दिया।