चर्बी घटाने में कारगर, एब्स बनाने में मदद करता है चतुरंग दंडासन

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नई दिल्ली, 27 जून (आईएएनएस)। चतुरंग दंडासन एक ऐसा योगासन है, जो पूरे शरीर को संतुलन देने के साथ-साथ मन को भी स्थिर करने का काम करता है। अगर इसे सरल भाषा में कहें तो यह देसी पुशअप जैसा है। इस आसन में शरीर एक सीधी रेखा में होता है। हाथ, कंधे और पेट के आसपास की मांसपेशियों पर इसका जबरदस्त असर पड़ता है। रोजाना इस आसन का अभ्यास करने से पेट की चर्बी भी धीरे-धीरे कम होने लगती है।

ये आधुनिक योग में शामिल आसन है। बीकेएस अयंगर की ‘लाइट ऑन योगा’ किताब में इसका जिक्र है। इसके अनुसार जिन लोगों को पीठ दर्द, कंधे में अकड़न या पोश्चर से जुड़ी दिक्कतें होती हैं, उनके लिए चतुरंग दंडासन बेहद लाभदायक है। इससे रीढ़ की हड्डी सीधी रहती है और मांसपेशियों को भी मजबूती मिलती है।

चतुरंग दंडासन को करते वक्त जब आप इस आसन में सांसों पर ध्यान केंद्रित करते हैं, तो तनाव और बेचैनी धीरे-धीरे कम होने लगती है। इससे मानसिक स्पष्टता बढ़ती है। साथ ही चिंता और अवसाद दूर होने लगते हैं। यही वजह है कि इसे सिर्फ शरीर नहीं, दिमाग की कसरत भी कहा जा सकता है।

पेट से जुड़ी समस्याओं में भी यह आसन कारगर है। जिन लोगों को कब्ज, गैस या अपच की समस्या रहती है, उन्हें इसका नियमित अभ्यास आराम दे सकता है। युवाओं के लिए यह आसन काफी फायदेमंद है, यह आसन पेट की मांसपेशियों को टोन करने में मदद करता है, जिससे एब्स भी बेहतर दिखने लगते हैं।

चतुरंग दंडासन मोटापा घटाने की कोशिश कर रहे लोगों के लिए भी काफी मददगार है। यह शरीर की अतिरिक्त चर्बी को कम करने में मदद करता है।

ब्लड सर्कुलेशन को सुधारने में भी चतुरंग दंडासन एक बेहतरीन विकल्प है। खासकर पैरों और शरीर के निचले हिस्से में खून का बहाव बेहतर होता है, जिससे सुस्ती और थकावट कम होती है।

चतुरंग दंडासन करने के लिए सबसे पहले योगा मैट पर पेट के बल लेट जाएं या फिर अधोमुख श्वानासन से इसकी शुरुआत करें। अब अपने दोनों हाथों को जमीन पर कंधों से थोड़ा आगे रखें और उंगलियां सामने की तरफ फैला लें, ताकि पकड़ मजबूत रहे। दोनों पैरों की उंगलियों को जमीन पर टिकाएं और धीरे-धीरे घुटनों को ऊपर उठाएं। अब सांस अंदर लेते हुए शरीर को ऊपर की तरफ उठाएं और दोनों हाथों पर वजन डालें। इस वक्त ध्यान रखें कि आपकी कोहनियों पर 90 डिग्री का कोण बने और आपका पूरा शरीर एक सीधी रेखा में आ जाए। शरीर का पूरा भार अब सिर्फ हाथों और पैरों की उंगलियों पर रहेगा। शुरुआत में आप इस पोज में 10 से 20 सेकंड तक रहें। धीरे-धीरे अभ्यास बढ़ाने से इसे ज्यादा देर तक भी किया जा सकता है।