बंगलुरु, 9 अक्टूबर (आईएएनएस)। कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने इस बात की सराहना की कि राज्य झीलों को पानी से भरने में एशिया में सबसे अच्छा काम कर रहा है। वह गुरुवार को बैंक्वेट हॉल में लघु सिंचाई विभाग द्वारा आयोजित ‘जल है तो कल है’ कार्यक्रम का उद्घाटन करने के बाद बोल रहे थे।
उन्होंने कहा कि सभ्यता पानी से ही विकसित हुई और बची हुई है। मंत्री बोसराजू विभाग की ओर से लोगों के बीच जल उपयोग, जल मूल्य और भूजल संवर्धन के संबंध में अच्छे कार्यक्रम तैयार कर रहे हैं। यह एक अच्छी बात है। उन्होंने जनता से पानी की आवश्यकता और पानी की स्थिति के बारे में आश्वस्त होने का आह्वान किया।
उन्होंने कहा कि राज्य में 37 लाख बोरवेल के माध्यम से भूजल का उपयोग किया जा रहा है। लाखों अनधिकृत बोरवेल भी हैं, जिनका रिकॉर्ड दर्ज नहीं है। उन्होंने बताया कि ऐसी रिपोर्ट्स हैं कि इनका उपयोग राष्ट्रीय औसत से 8 प्रतिशत अधिक हो रहा है। 144 तालुकों को छोड़कर, शेष तालुकों में पानी और भूजल की कमी है। इसीलिए कोलार और चिक्कबल्लापुर की झीलों को भरने के लिए केसी वैल्यू परियोजना लागू की गई। इससे अब भूजल स्तर में वृद्धि हुई है, लेकिन कुछ लोग इसका विरोध भी कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि हमने चिक्कबल्लापुर, डोड्डाबल्लापुर, तुमकुर और बेंगलुरु ग्रामीण जिलों में भूजल स्तर बढ़ाने पर हजारों करोड़ रुपए खर्च किए हैं। उन्होंने इस बात की सराहना की कि इससे भूजल स्तर में अच्छी वृद्धि हुई है।
इस अवसर पर उपमुख्यमंत्री डी.के. शिवकुमार, कानून मंत्री एच.के. पाटिल, लघु सिंचाई मंत्री एन.एस. बोसराजू, वन एवं पर्यावरण मंत्री ईश्वर खंड्रे, केकेआर डीबी के अध्यक्ष अजय सिंह, मैग्सेसे पुरस्कार विजेता पर्यावरणविद् राजेंद्र सिंह सहित कई गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।
इससे पहले उन्होंने कहा कि कर्नाटक के बुनियादी ढांचे को चरणबद्ध तरीके से मजबूत करना हमारी सरकार का लक्ष्य है। बजट घोषणा के अनुरूप, हमारी सरकार ने प्रमुख पुलों के निर्माण के लिए 1,000 करोड़ और मलनाड एवं तटीय क्षेत्रों में बाढ़ से क्षतिग्रस्त पुलों के पुनर्निर्माण और नए पैदल पुलों के लिए 1,000 करोड़ स्वीकृत किए हैं।
–आईएनएस
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