बर्ड फ्लू का शीघ्र पता लगाने में सहायक है एडवांस डायग्नोस्टिक किट ‘स्टेडफास्ट’ : शोध

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नई दिल्ली, 22 नवंबर (आईएएनएस)। सैकड़ों पक्षियों की जान लेने वाले और कुछ स्तनधारियों और यहां तक कि मनुष्यों तक फैलने वाले बर्ड फ्लू के बढ़ते खतरे के बीच, एक वैश्विक शोध दल ने शुक्रवार को ‘स्टेडफास्ट’ की घोषणा की जो एच5एन1 एवियन इन्फ्लूएंजा वायरस (एआईवी) का पता लगाने के लिए एक एडवांस डायग्नोस्टिक किट है।

जापान के शोधकर्ताओं के सहयोग से सिंगापुर की विज्ञान, प्रौद्योगिकी और अनुसंधान एजेंसी (ए-स्टार) द्वारा चलाया जा रहे एक मंच डायग्नोस्टिक्स डेवलपमेंट हब (डीएक्सडी हब) की टीम ने कहा, ”यह विकास एवियन इन्फ्लूएंजा की निगरानी में एक महत्वपूर्ण सफलता है, जो इस महामारी की तैयारी के लिए वैश्विक प्रयासों को मजबूत करता है।”

नए विकसित स्टेडफास्ट से अत्यधिक रोगजनक एच5एन1 एवियन इन्फ्लूएंजा वायरस का तेजी से पता लगाया जा सकता है। यह हाईली पैथोजेनिक एवियन इन्फ्लूएंजा (एचपीएआई) और लो पैथोजेनिक एवियन इन्फ्लूएंजा (एलपीएआई) के बीच अंतर करने में भी मदद करता है जो प्रभावी नियंत्रण उपायों के लिए महत्वपूर्ण हैं।

जबकि कॉन्वेंशनल सीक्वेंसिंग मेथड्स से परिणाम प्राप्त करने में दो से तीन दिन लगते हैं, ‘स्टेडफास्ट’ लगभग तीन घंटों के भीतर एचपीएआई एच 5 उपभेदों (एच5एन1, एच5एन5, एच5एन6) का पता लगा सकता है।

हाल ही के दिनों में हाईली पैथोजेनिक एवियन इन्फ्लूएंजा (एचपीएआई) दुनिया भर में मुर्गियों और जंगली पक्षियों में बड़े पैमाने पर मृत्यु का कारण बना है। यह संक्रमण सील, बिल्लियों, मवेशियों और यहां तक ​​कि मवेशियों से मनुष्यों में भी फैल गया है, जिससे महामारी वायरस का खतरा बढ़ गया है।

जापान में जैव विविधता संसाधन संरक्षण कार्यालय के राष्ट्रीय पर्यावरण अध्ययन संस्थान (एनआईईएस) के प्रमुख डॉ. ओनुमा मनाबू ने कहा कि ये घटनाएं दिखाती हैं कि वायरस कितनी तेजी से बदल (म्यूटेटिंग) रहा है।

मनाबू ने कहा कि यह प्रभावी निगरानी प्रणाली तेजी से पता लगाने के तरीकों को विकसित करने के महत्व पर जोर देती है जो संक्रमण राेकने में सहायक है।

टीम ने कहा कि वायरस और स्ट्रेन्स का जल्दी और तेजी से पता लगाना महत्वपूर्ण है क्योंकि यह अधिक प्रवासी पक्षियों की निगरानी करने, समय पर चेतावनी देने और पोल्ट्री सुविधाओं में जैव सुरक्षा को मजबूत करने में मदद कर सकता है। समय पर की गई प्रतिक्रिया से संक्रमण के जोखिम को काफी हद तक कम किया जा सकता है तथा संभावित विनाशकारी महामारियों को रोकने में मदद मिल सकती है।