विदेश मंत्री एस. जयशंकर बोले- ‘भारत एक मानसिकता, एक दृष्टिकोण है’

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नई दिल्ली, 1 फरवरी (आईएएनएस)। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा है कि ‘भारत’ एक मानसिकता है, जिसमें पिछले कुछ वर्षों में देश में हो रहे सभी बदलाव शामिल हैं।

एनडीटीवी के प्रधान संपादक संजय पुगलिया के साथ एक साक्षात्कार के दौरान ‘नाम’ को मुख्यधारा में लाने के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने यह बात कही।

विदेश मंत्री जयशंकर ने अपनी पुस्तक ‘व्हाई भारत मैटर्स’ के प्रकाशन के बाद साक्षात्कार के दौरान इस बात पर बल दिया, ”मैं भारत को एक मानसिकता, एक दृष्टिकोण मानता हूं।”

“मैं जो सोचता हूं वह संस्कृति, आत्मविश्वास, वितरण है, हमारे सोचने के तरीके के संदर्भ में, यदि आप यह सब गिनते हैं, तो, अगर हमें संक्षेप में अवधारणा का वर्णन करना है, तो भारत शब्द संदेश देता है।”

उन्होंने कहा, ”मेरा मानना है कि संस्कृति, आत्मविश्वास, वितरण, हमारे सोचने के तरीके के संदर्भ में, यदि आप यह सब गिनते हैं, तो, अगर हमें संक्षेप में अवधारणा का वर्णन करना है तो ‘भारत’ शब्द संदेश देता है।”

भारत का वर्णन करने के लिए संविधान में इस्तेमाल किया गया नाम ‘भारत’ पिछले साल जी20 शिखर सम्मेलन के दौरान तब सुर्खियों में आया था, जब शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने वाले विदेशी नेताओं को द्रौपदी मुर्मू के नाम से भेजे गए डिनर निमंत्रण में उन्हें ‘भारत का राष्ट्रपति’ बताया गया था।

कनाडा के साथ भारत के खराब संबंधों के मुद्दे पर आगे बढ़ते हुए, जयशंकर ने कहा कि देश की ‘राजनीति ने अलगाववाद को जगह दी।’

जयशंकर ने एनडीटीवी को बताया कि कनाडा ने अपनी किसी भी चिंता के बारे में जानकारी साझा करने के भारत के अनुरोध को नजरअंदाज कर दिया और इसके बजाय जून 2023 में खालिस्तानी आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या पर भारत के खिलाफ सार्वजनिक रूप से आरोप लगाए।

भारतीय कूटनीति की दिशा के बड़े बिंदु पर उन्होंने स्पष्ट किया कि ‘भारत गैर-पश्चिम है, लेकिन, पश्चिम-विरोधी नहीं है।’

दक्षिण एशिया पर ध्यान केंद्रित करते हुए जयशंकर ने कहा कि भारत के अपने पड़ोसियों के साथ संबंध लेन-देन वाले नहीं हैं। उन्होंने इस तथ्य की ओर ध्यान आकर्षित किया कि यह नई दिल्ली ही थी, जिसने ‘नेबरहुड फर्स्ट’ नीति शुरू की थी और इसी भावना के आधार पर दोस्ती बनाई थी।

मई 2022 में द्वीप राष्ट्र में आए आर्थिक और सामाजिक संकट को याद करते हुए जयशंकर ने एनडीटीवी से कहा, “श्रीलंका पड़ोस नीति का एक उदाहरण है… दुनिया ने श्रीलंका के बारे में बात की, लेकिन, भारत ने मदद की।”

दुनिया में चीन के प्रभाव पर बढ़ती ग्लोबल चिंता को लेकर जयशंकर ने घोषणा की, “हमें केवल चीन से ही नहीं बल्कि सभी से प्रतिस्पर्धा करनी चाहिए।”

उन्होंने कहा कि भारत को चीन से डरने की जरूरत नहीं है और उसके पास चीन से मुकाबला करने की क्षमता और आत्मविश्वास है।

विदेश मंत्री ने एनडीटीवी से कहा कि जब कनेक्टिविटी परियोजनाओं, लोगों की गतिशीलता, सामाजिक और बौद्धिक क्षेत्र, व्यापार और हर दूसरे पैमाने की बात आती है, तो भारत बहुत मजबूत स्थिति में है।