सीजेआई चंद्रचूड़ बोले, स्थगन की संस्कृति पर ध्यान दिया जाना चाहिए

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नई दिल्ली, 28 जनवरी (आईएएनएस)। सुप्रीम कोर्ट के डायमंड जुबली ईयर का रविवार को उद्घाटन किया गया। इस मौके पर भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़ ने रविवार को कहा कि न्यायपालिका को प्रभावित करने वाले संरचनात्मक मुद्दों जैसे लंबित मामलों, पुरानी प्रक्रियाओं और स्थगन की संस्कृति पर ध्यान देना चाहिए।

सीजेआई चंद्रचूड़ ने सुप्रीम कोर्ट के डायमंड जुबली ईयर के उद्घाटन पर कहा, ”कानूनी पेशे को स्थगन संस्कृति से व्यावसायिकता की संस्कृति में उभरना चाहिए।”

न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा, ”आइए, लंबी छुट्टियों पर बातचीत शुरू करें और क्या वकीलों एवं न्यायाधीशों के लिए फ्लेक्सिटाइम जैसे विकल्प संभव हैं।”

एक संस्था के रूप में प्रासंगिक बने रहने की हमारी क्षमता के लिए हमें चुनौतियों को पहचानने और कठिन बातचीत शुरू करने की जरूरत है। मौखिक दलीलों का विस्तार न्यायिक परिणामों में लगातार देरी नहीं करता है।

सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट की स्थापना आदर्शवाद की इस भावना के साथ की गई थी कि वह कानूनों की व्याख्या कानून के शासन के अनुसार करेगी, न कि औपनिवेशिक मूल्यों या सामाजिक पदानुक्रमों (हायरार्की) के अनुसार।

सुप्रीम कोर्ट को समाधान और न्याय की संस्था करार देते हुए उन्होंने कहा कि बड़ी संख्या में लोगों का न्यायपालिका में आना अन्याय, अत्याचार और मनमानी के खिलाफ इसकी मजबूत भूमिका को दर्शाता है।

सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसलों के जरिए लोकस स्टैंडी के मानकों को कमजोर करके और संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत नए अधिकारों के एक सेट को मान्यता देकर नागरिकों के अधिकारों को बढ़ाया है।

सीजेआई चंद्रचूड़ ने यह भी कहा कि देश में महिलाओं को अब महत्वपूर्ण पदों पर देखा जा सकता है। भारत ‘सामाजिक और जनसांख्यिकीय परिवर्तन’ के दौर से गुजर रहा है। कानूनी पेशे में परंपरागत रूप से कम प्रतिनिधित्व वाली महिलाएं अब जिला न्यायपालिका की कामकाजी ताकत का 36.3 प्रतिशत हैं।

सीजेआई ने कहा कि मई 2023 में लॉन्च किए गए अपग्रेड ई-फाइलिंग प्लेटफॉर्म ने 24 गुणा 7 मामलों की फाइलिंग को सरल, तेज और सुविधाजनक बना दिया है। फिजिकल फाइलिंग की तुलना में ई-फाइलिंग की हिस्सेदारी में लगातार वृद्धि के साथ अब तक लगभग 1 लाख 28 हजार ई-फाइलिंग की जा चुकी है।

सुप्रीम कोर्ट आज लगभग पूरी तरह से पेपरलेस मोड में काम करता है, जिसमें लगभग सभी बेंच डिजीटल पेपर-बुक्स का उपयोग करती हैं। लगभग 10 करोड़ पन्नों वाले 13 लाख से अधिक विरासत और लाइव केस रिकॉर्ड को डिजिटलीकृत किया गया है।

सुप्रीम कोर्ट अपनी स्थापना के 75वें वर्ष में प्रवेश कर रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को डायमंड जुबली समारोह का उद्घाटन किया और डिजिटल सुप्रीम कोर्ट रिपोर्ट (डिजी एससीआर), डिजिटल कोर्ट 2.0, अदालत की नई वेबसाइट सहित कई नागरिक केंद्रित सूचना और प्रौद्योगिकी पहल की शुरुआत की।

भारत का संविधान लागू होने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने 28 जनवरी 1950 को अपनी उद्घाटन बैठक आयोजित की थी।

–आईएएनएस

एफजेड/एसजीके