नई दिल्ली, 13 जनवरी (आईएएनएस)। दिल्ली उच्च न्यायालय ने एक जनहित याचिका (पीआईएल) पर अपना आदेश सुरक्षित रख लिया है, जिसमें दावा किया गया है कि नगर निगम द्वारा संचालित प्राथमिक विद्यालयों में पढ़ने वाले अफगान शरणार्थी छात्रों को उनके बैंक खाते के अभाव में गैर-कानूनी प्रावधानों के कारण उन्हें वैधानिक मौद्रिक लाभ से वंचित किया जा रहा है।
न्यायमूर्ति मनमोहन और न्यायमूर्ति मनमीत प्रीतम सिंह अरोड़ा की पीठ ने पक्षों की दलीलें पूरी होने के बाद आदेश सुरक्षित रख लिया।
एनजीओ सोशल ज्यूरिस्ट द्वारा दायर याचिका में आरोप लगाया गया है कि अफगान शरणार्थी छात्रों को वैधानिक लाभ से वंचित करने में अधिकारियों की कार्रवाई मनमानी और भेदभावपूर्ण है, जो संविधान के तहत गारंटीकृत शिक्षा के उनके मौलिक अधिकार, दिल्ली के बच्चों के मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा के अधिकार का हनन है।
दिल्ली के बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार नियमों के अनुसार, दिल्ली सरकार और एमसीडी संचालित स्कूलों के सभी छात्र मुफ्त पाठ्यपुस्तकें, लेखन सामग्री और वर्दी के हकदार हैं।
ये चीजें उपलब्ध कराने के बजाय अधिकारी छात्रों के बैंक खातों में पैसे ट्रांसफर करते हैं।
याचिका में दावा किया गया है कि एमसीडी स्कूल में 46 अफगान छात्रों के पास नो योर कस्टमर (केवाईसी) दस्तावेजों की कमी के कारण बैंक खाते नहीं हैं। इससे पहले, अदालत को सूचित किया गया था कि अधिकारियों को एक अभ्यावेदन दिया गया था, जिसमें छात्रों को बैंक खाते खोलने या संचालन में कोई समस्या होने पर नकद राशि देने का सुझाव दिया गया था।
हालांकि, कोई कार्रवाई नहीं की गई और छात्रों का बकाया पैसा अभी भी एमसीडी स्कूल के पास है।
याचिका में अदालत से उत्तरदाताओं और विशेष रूप से प्रतिवादी एमसीडी प्राइमरी स्कूल, जंगपुरा एक्सटेंशन को 46 अफगानिस्तान शरणार्थी छात्रों को वैधानिक लाभ देने का निर्देश देने के लिए कोई उचित रिट, आदेश या निर्देश जारी करने का आग्रह किया गया है।
कोर्ट ने याचिका पर एमसीडी, एमसीडी प्राइमरी स्कूल, जंगपुरा एक्सटेंशन और इंडियन ओवरसीज बैंक, जंगपुरा ब्रांच को नोटिस जारी किया था।
–आईएएनएस
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