नई दिल्ली, 7 मार्च (आईएएनएस)। केंद्र सरकार ने पिछले 9 वर्षों में ऊर्जा क्षेत्र में लगभग 20 लाख करोड़ रुपये का निवेश किया है और अगले 5 से 7 वर्षों में 17 लाख करोड़ रुपये का निवेश करेगी। ये बात केंद्रीय ऊर्जा और नवीन एवं अक्षय ऊर्जा मंत्री आर.के. सिंह ने गुरुवार को कही।
एक कार्यक्रम में मंत्री ने कहा कि ऊर्जा क्षेत्र की तेज वृद्धि से मांग पैदा हो रही है और सरकार चाहती है कि इस मांग को ‘मेड इन इंडिया’ से ही पूरा किया जाए।
ऊर्जा मंत्री आर.के. सिंह ने कहा, “हमने पहले से ही नीति लागू कर दी है, जैसे कि सोलर मॉड्यूल पर 40 प्रतिशत की टैरिफ, ताकि उद्योग सुरक्षित रहे।
उन्होंने कहा कि पिछले 10 वर्षों में सरकार ने 190 गीगावॉट बिजली उत्पादन क्षमता जोड़ी है। यह लगभग दोगुनी 436 गीगावॉट हो गई है।
मंत्री ने कहा, “इसके लिए बहुत सारे थर्मल और नवीकरणीय उपकरणों की आवश्यकता थी। हमने ट्रांसमिशन लाइनों में 200,000 सर्किट किलोमीटर जोड़े; हमारी ट्रांसमिशन सिस्टम आज दुनिया की सबसे बड़ी एकीकृत ट्रांसमिशन सिस्टम है।”
उन्होंने बताया, “हम 116 गीगावॉट देश के एक कोने से दूसरे कोने में भेज सकते हैं। मेरे कार्यकाल के दौरान, हमने लगभग 3,000 नए सबस्टेशन बनाने, लगभग 4,000 सब-स्टेशनों को अपग्रेड करने, 8.5 लाख सर्किट किलोमीटर एचटी और एलटी लाइनें और 7.5 लाख ट्रांसफार्मर जोड़ने में लगभग 2 लाख करोड़ रुपये खर्च किए।”
ऊर्जा मंत्री ने कहा कि बिजली क्षेत्र में विस्तार जारी है और हमें जितनी बिजली की जरूरत है, उसे देखते हुए हमें 2030 तक इसका आकार दोगुना करना होगा।
“2013-14 से बिजली की मांग 60 प्रतिशत बढ़ी, पिछले साल यह 9 प्रतिशत बढ़ी। बुनियादी ढांचे में विस्तार के कारण हम इसे पूरा करने में सक्षम हुए। हम लगभग 85 गीगावॉट तापीय क्षमता जोड़ रहे हैं और 14 गीगावॉट पनबिजली निर्माणाधीन है। अन्य 14-15 गीगावॉट पनबिजली क्षमता को मंजूरी दी जा रही है।”
उन्होंने कहा कि भारतीय उद्योग को बाहरी बाजारों में प्रतिस्पर्धा करने और निर्यात करने में सक्षम होने के लिए चारों ओर देखने की जरूरत है।
आर.के. सिंह ने कहा, “उत्पादों की गुणवत्ता इतनी अच्छी होनी चाहिए कि वे विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धा करने में सक्षम हों और उनकी उचित कीमत मिले।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि सरकार भारत में आकर उद्योग स्थापित करने वालों के लिए भी तैयार है। “हम चाहते हैं कि विनिर्माण यहां आये। दुनिया चीन के बाहर बाजार देख रही है और वो हम हैं।”
उन्होंने बताया कि देश थर्मल क्षमता बढ़ाने जा रहा है। हम विकास के लिए बिजली की उपलब्धता से समझौता नहीं कर सकते।
मंत्री ने कहा, “एक समय था जब मुझे लगता था कि हमारे पास अतिरिक्त बिजली क्षमता है। लेकिन जब अर्थव्यवस्था का विस्तार शुरू हुआ, मांग बढ़ने लगी तो सरकार ने और क्षमता बढ़ाने का फैसला किया।”