आईआईटी दिल्ली के शोधकर्ताओं ने डेटा स्टोरेज के लिए नए इलेक्ट्रॉनिक उपकरण किए विकसित

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नई दिल्ली, 24 सितंबर (आईएएनएस)। आईआईटी दिल्ली के शोधकर्ताओं ने साइक्लिक ट्रांसपेरेंट ऑप्टिकल पॉलिमर (सीवाईटीओपी) नामक पॉलिमरिक सामग्री पर एक ऐसी तकनीक को विकसित किया है, जो इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों पर डेटा स्टोरेज और एन्क्रिप्शन के नए रास्ते खोल सकता है।

आईआईटी दिल्ली के अनुसार, प्रस्तावित तकनीक बहुमुखी है और इसका उपयोग विभिन्न सामग्रियों पर किया जा सकता है, इसमें वर्षा जल से नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन, जल गुणवत्ता जैसे क्षेत्र में इसका उपयोग संभव हो सकता है।

आईआईटी के शोधकर्ताओं ने कहा कि आज की संचार प्रणालियों में डेटा एन्क्रिप्शन और सुरक्षा महत्वपूर्ण है।

इंटरनेट ऑफ थिंग्स और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तकनीक की उन्नति के साथ यह चुनौती और भी जटिल होने जा रही है, जो या तो लगातार बड़ी मात्रा में डेटा का उत्पादन करती हैं या अपनी कुशल कार्यक्षमता के लिए डेटा पर निर्भर करती हैं।

इसलिए, नए तंत्र विकसित करना अनिवार्य हो गया है, जो वर्गीकृत सूचनाओं के सुरक्षित तरीके से आदान-प्रदान की सुविधा प्रदान कर सके।

आईआईटी दिल्ली की स्कूल ऑफ इंटरडिसिप्लिनरी रिसर्च की शोधकर्ता शालिनी सिंह ने प्रोफेसर धिमन मलिक (इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग) और प्रोफेसर अंकुर गोस्वामी (सामग्री विज्ञान एवं इंजीनियरिंग) की देखरेख में इस काम काम को किया है।

शालिनी आईआईटी दिल्ली के स्कूल ऑफ इंटरडिसिप्लिनरी रिसर्च से हैं।

उन्होंने यह अनुसंधान मैक्स प्लैंक इंस्टीट्यूट ऑफ पॉलीमर रिसर्च और जर्मनी के स्टटगार्ट विश्वविद्यालय के सहयोग से किया।

साइटोप के इस गुण का उपयोग सूचना लिखने के लिए किया जा सकता है, जिसे आगे केवल इलेक्ट्रोस्टेटिक फोर्स माइक्रोस्कोपी द्वारा ही पढ़ा जा सकता है।

आईआईटी दिल्ली के इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग विभाग के धीमान मलिक ने कहा, “वर्तमान जांच हमें एक उपयुक्त चार्ज इंजेक्शन तंत्र का उपयोग कर इलेक्ट्रेट सब्सट्रेट (ऐसी सामग्री जो अनिश्चित काल तक चार्ज स्टोर कर सकती है) की अनुमति देगा और इसे केवल एक विशेष प्रोटोकॉल का उपयोग करके एक विशेष उपकरण के तहत पुनर्प्राप्त किया जा सकता है। स्ट्रिंग ऑप्टिकल या इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोप में भी दिखाई नहीं देगी।”

आईआईटी दिल्ली के मैटेरियल्स साइंस एंड इंजीनियरिंग विभाग के अंकुर गोस्वामी ने कहा, “वर्तमान अध्ययन में, एटॉमिक फोर्स माइक्रोस्कोप के ईएफएम मोड का उपयोग साइटोप पर माइक्रोकैंटिलेवर द्वारा चार्ज लिखने और पढ़ने के लिए किया गया था। हालांकि यह इलेक्ट्रेट पर नैनोस्केल पर चार्ज लिखने की क्षमता का एक बहुत ही प्रारंभिक चरण है, लेकिन मोटराइज्ड स्टेज और जांच का उपयोग करके इसे मैक्रोस्केल तक बढ़ाया जा सकता है, जैसे लिथोग्राफिक पैटर्निंग, जिसे एंड-टू-एंड एन्क्रिप्ट किया जा सकता है।”

शालिनी सिंह ने कहा, “यह अध्ययन मेमोरी उपकरणों के लिए अति-संवेदनशील सेंसर और डेटा स्टोरेज की दिशा में अहम कदम है।”

–आईएएनएस

एकेएस/सीबीटी