भारत और जापान ने रक्षा संबंधों को किया मजबूत, हवाई क्षेत्र में तलाशी संभावनाएं

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वियनतियाने (लाओस), 22 नवंबर (आईएएनएस)। भारत और जापान ने शुक्रवार को वायु क्षेत्र में सहयोग के नए क्षेत्रों की खोज करने पर सहमति व्यक्त की। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने 11 वें आसियान रक्षा मंत्रियों की बैठक-प्लस फोरम (एडीएमएम-प्लस) के मौके पर अपने जापानी और फिलीपींस के समकक्षों के साथ दो महत्वपूर्ण बैठक करके लाओस की अपनी तीन दिवसीय यात्रा का समापन किया।

पहली बैठक में राजनाथ सिंह और जापानी रक्षा मंत्री जनरल नाकातानी ने दोनों देशों के बीच बढ़ते सहयोग और सहभागिता की सराहना की। उन्होंने 15 नवंबर को टोक्यो में ‘यूनिफाइड कॉम्प्लेक्स रेडियो एंटीना’ (यूनिकॉर्न) के ट्रांसफर के लिए कार्यान्वयन ज्ञापन पर हस्ताक्षर करने को ‘मील का पत्थर’ बताया।

यूनिकॉर्न एकीकृत संचार प्रणालियों वाला एक मस्तूल है जो नौसेना प्लेटफार्मों की गोपनीय विशेषताओं को बेहतर बनाने में मदद करेगा। भारतीय नौसेना इन एडवांस सिस्टम को शामिल करने की कोशिश कर रही है। इनको देश में ‘भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड’ द्वारा जापानी सहयोग से सह-विकसित किया जाएगा।

जब इसे लागू किया जाएगा, तो यह भारत और जापान के बीच रक्षा उपकरणों के सह-विकास/सह-उत्पादन का पहला मामला होगा।

शुक्रवार की बैठक में दोनों रक्षा मंत्रियों ने ‘रक्षा विनिर्माण क्षेत्र’ में सह-उत्पादन और सह-विकास में सहयोग बढ़ाने पर सहमति जताई। साथ ही दोनों देशों के बीच रक्षा उद्योग और प्रौद्योगिकी सहयोग के महत्व को दोहराया।

बैठक के बाद जापानी रक्षा मंत्रालय द्वारा जारी एक बयान में कहा गया, ‘दोनों मंत्रियों ने सुरक्षा वातावरण में बहुपक्षीय रक्षा सहयोग और आदान-प्रदान के महत्व की पुष्टि की है, जो अपनी गंभीरता बढ़ा रहा है। इसके साथ ही लोकतंत्र और कानून के शासन जैसे मौलिक मूल्यों को साझा करने वाले देशों के साथ व्यापक रूप से मिलकर काम करने पर सहमति व्यक्त की।’

आगे कहा गया कि ‘दोनों मंत्रियों ने द्विपक्षीय संबंधों को और अधिक गहरा बनाने के लिए रक्षा सहयोग और आदान-प्रदान विकसित करने पर सहमति व्यक्त की और यह संदेश दिया कि बल या दबाव के जरिए मौजूदा स्थिति को बदलने के एकतरफा प्रयासों को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।’

भारतीय रक्षा मंत्रालय के अनुसार, दोनों मंत्रियों ने दोनों देशों के बीच आपूर्ति एवं सेवा समझौते के पारस्परिक प्रावधान पर चर्चा की। इसके अलावा भारतीय एवं जापानी सेनाओं के बीच अंतर-संचालन क्षमता को और बेहतर बनाने के लिए विभिन्न द्विपक्षीय एवं बहुपक्षीय अभ्यासों में सेनाओं की भागीदारी पर भी चर्चा हुई।