नई दिल्ली, 19 नवंबर (आईएएनएस)। भारत में स्थापित रिन्यूएबल एनर्जी क्षमता (हाइड्रो सहित) मार्च 2026 तक 250 गीगावाट तक पहुंचने की उम्मीद है। फिलहाल सितंबर 2024 के अंत तक यह 201 गीगावाट पर थी। यह जानकारी मंगलवार को जारी एक रिपोर्ट में दी गई।
क्रेडिट रेटिंग एजेंसी आईसीआरए की रिपोर्ट में कहा गया कि स्थापित क्षमता में विस्तार की वजह 80 गीगावाट से अधिक की बड़ी प्रोजेक्ट के पाइपलाइन में होना है।
रिपोर्ट में आगे कहा गया कि अच्छी प्रोजेक्ट पाइपलाइन और सोलर पीवी सेल एवं मॉड्यूल की कीमत पक्ष में होने के कारण वित्त वर्ष 25 में 26 गीगावाट से अधिक की रिन्यूएबल एनर्जी क्षमता जुड़ने की उम्मीद है। वित्त वर्ष 24 में यह 19 गीगावाट थी।
आईसीआरए में कॉरपोरेट रेटिंग्स के एसवीपी और को-ग्रुप हेड, गिरीश कुमार कदम ने कहा कि वित्त वर्ष 2026 में यह बढ़कर 32 गीगावाट रहने की उम्मीद है। इसमें सोलर पावर सेगमेंट का योगदान सबसे अधिक होगा।
रिपोर्ट में आगे बताया गया कि यूटिलिटी सेगमेंट के अलावा रूफटॉप सोलर सेगमेंट और वाणिज्यिक और औद्योगिक (सी एंड आई) सेगमेंट क्षमता वृद्धि में महत्वपूर्ण योगदान देंगे।
अगले पांच वर्षों में रिन्यूएबल एनर्जी (आरई) क्षमता बढ़ने के कारण भारत के कुल बिजली उत्पादन में आरई की हिस्सेदारी वित्त वर्ष 30 तक 35 प्रतिशत होने की उम्मीद है, जो कि वित्त वर्ष 24 में 21 प्रतिशत थी।
कदम ने कहा, “बढ़ती रिन्यूएबल एनर्जी हिस्सेदारी को एकीकृत करने के लिए पर्याप्त ऊर्जा भंडारण प्रोजेक्टों का विकास महत्वपूर्ण बना हुआ है, क्योंकि उनका उत्पादन रुक-रुककर होता है।”
इसके अलावा केंद्रीय नोडल एजेंसियों द्वारा राउंड द क्लॉक (आरटीसी) और फर्म एवं डिस्पैचेबल सप्लाई (एफडीआरई) की पेशकश करने वाली रिन्यूएबल एनर्जी प्रोजेक्ट्स को आवंटित करने पर अधिक ध्यान दिया जा रहा है, जो रिन्यूएबल एनर्जी से जुड़े रुक-रुककर होने वाले जोखिम को कम कर सकता है।
रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि ऊर्जा भंडारण प्रणालियों के साथ पूरक हाइब्रिड रिन्यूएबल एनर्जी के उपयोग के माध्यम से इसे संभव बनाया जा सकता है।