नई दिल्ली, 8 अगस्त (आईएएनएस)। न्यायिक न्यायाधिकरण ने स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (सिमी) पर गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम के तहत लगाए गए प्रतिबंध को जारी रखा है।
स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (सिमी) पर केंद्र सरकार ने प्रतिबंध लगाया था। इस साल की शुरुआत में केंद्र ने सिमी पर प्रतिबंध को पांच साल को बढ़ाने का फैसला किया।
दिल्ली हाई कोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति पुरुषेंद्र कुमार कौरव की अध्यक्षता वाले न्यायाधिकरण ने इस फैसले के लिए आईएसआईएस से संबंधों का हवाला दिया।
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने 29 जनवरी को जारी एक अधिसूचना में सिमी पर प्रतिबंध को पांच साल के लिए और बढ़ा दिया था और इसे गैरकानूनी संगठन घोषित किया था।
मंत्रालय ने कहा था कि सिमी आतंकवाद को बढ़ावा देने, शांति और सांप्रदायिक सद्भाव को बिगाड़ने में शामिल है। इससे भारत की संप्रभुता, सुरक्षा और अखंडता को खतरा है।
इसके बाद 16 फरवरी को एक न्यायाधिकरण का गठन किया गया, ताकि यह तय किया जा सके कि सिमी को अवैध संगठन घोषित करने के लिए पर्याप्त कारण हैं या नहीं।
एक आधिकारिक अधिसूचना में कहा गया है कि 24 जुलाई को न्यायिक न्यायाधिकरण ने यूएपीए की धारा 4 की उपधारा (3) की शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए सिमी पर प्रतिबंध की घोषणा की पुष्टि की और एक आदेश पारित किया।
ज्ञात हो कि अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में 1977 में स्थापित सिमी पर पहली बार 2001 में प्रतिबंध लगाया गया था। तब से प्रतिबंध को समय-समय पर बढ़ाया जाता रहा है।