कालेश्वरम का मतलब केवल एक बैराज नहीं है : बीआरएस

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मेदिगड्डा (हैदराबाद), 13 फरवरी (आईएएनएस)। भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) ने कालेश्वरम परियोजना के बारे में आरोपों को लेकर तेलंगाना सरकार पर पलटवार किया है। पार्टी का कहना है कि मेदिगड्डा परियोजना कई कंपोनेंट्स में से एक है।

बीआरएस के वरिष्ठ नेता और पूर्व सिंचाई मंत्री टी. हरीश राव ने कहा कि बहुत से लोगों को लिफ्ट सिंचाई परियोजना की व्यापक प्रकृति के बारे में जानकारी नहीं थी।

उन्होंने कहा, “कालेश्वरम का मतलब सिर्फ मेदिगड्डा बैराज नहीं है। कालेश्वरम का अर्थ है तीन बैराज, 15 जलाशय, 19 सब स्टेशन, 21 पंप हाउस, 203 किमी लंबी सुरंगें, 1,531 किमी लंबी ग्रेविटी नहर, 98 किलोमीटर लंबी दबाव वाली मुख्य लाइन, 141 टीएमसी की स्टोरेज क्षमता, 240 टीएमसी पानी उपलब्ध कराने के लिए 530 मीटर की ऊंचाई तक लिफ्ट है।”

मुख्यमंत्री ए. रेवंत रेड्डी, मंत्रियों और कांग्रेस विधायकों के मेदिगड्डा बैराज के लिए रवाना होने के बाद हरीश राव ने पत्रकारों से बात की।

हरीश राव ने विधानसभा की कार्यवाही के संचालन के तरीके में खामी बताई। उनका कहना है कि सत्ता पक्ष के सदस्यों को बोलने का मौका देने के बाद मुख्य विपक्ष को माइक न देना सदन की परंपराओं के खिलाफ है।

उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस सरकार लोकतांत्रिक मूल्यों की धज्जियां उड़ा रही है।

बीआरएस नेता ने कहा कि कांग्रेस पार्टी बीआरएस को बदनाम करने का प्रयास कर रही है। हालांकि, एक बैराज के केवल कुछ ही पिलर डूबे हैं।

उन्होंने मुख्यमंत्री और मंत्रियों को मेदिगड्डा के रास्ते में रंगनायक सागर, मल्लन्ना सागर, कुडेली वागु और हरे-भरे मैदान देखने की सलाह दी। इसके अलावा उन्होंने कांग्रेस नेताओं को किसानों से बात करने का भी सुझाव दिया कि कालेश्वरम ने उन्हें कैसे फायदा पहुंचाया।

उन्होंने याद दिलाया कि कर्नाटक के कांग्रेस विधायक ने रंगनायक सागर का दौरा किया था और इसे आश्चर्य बताया था। हरीश राव ने पूछा कि कांग्रेस, जो पहले केंद्र, महाराष्ट्र और आंध्र प्रदेश में सत्ता में थी, उसने प्राणहिता-चेवेल्ला परियोजना (कालेश्वरम का पुराना नाम) का निर्माण क्यों नहीं कराया?