नई दिल्ली, 26 अक्टूबर (आईएएनएस)। तेलंगाना के संगारेड्डी जिले के डोम्माडुगु गांव में एक स्थानीय जल निकाय, नल्ला चेरुवु में फार्मास्युटिकल कचरा छोड़े जाने को लेकर एक रिपोर्ट प्रकाशित की गई। जिसमें ग्रामीणों और पर्यावरण कार्यकर्ताओं के विरोध प्रदर्शन का जिक्र था। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने चिंता जताते हुए इस खबर का स्वतः संज्ञान लिया।
जस्टिस प्रकाश श्रीवास्तव की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि यह घटना वाटर (प्रिवेंशन एंड कंट्रोल ऑफ पॉल्यूशन) एक्ट, 1974 और एनवायरनमेंट (प्रोटेक्शन) एक्ट, 1986 के तहत कई जरूरी मुद्दों की ओर ध्यान दिलाती है।
बेंच, जिसमें एक्सपर्ट मेंबर ए. सेंथिल वेल भी शामिल थे, ने कहा, “यह खबर एनवायरनमेंटल नियमों के पालन और तय कानूनों के प्रावधानों को लागू करने से जुड़े कई जरूरी मुद्दे उठाती है।”
24 सितंबर को छपी एक रिपोर्ट के आधार पर स्वतः संज्ञान लिया गया, जिसके मुताबिक फार्मास्युटिकल कंपनियां कथित तौर पर झील में जहरीला कचरा छोड़ रही थीं, जिससे निवासियों ने तुरंत कार्रवाई की मांग की।
इस मामले का संज्ञान लेते हुए, एनजीटी ने सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड, तेलंगाना स्टेट पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड और संगारेड्डी के डिस्ट्रिक्ट कलेक्टर को प्रतिवादी बनाया।
तेलंगाना पीसीबी के वकील ने नोटिस स्वीकार कर लिया और जवाब दाखिल करने के लिए चार हफ्ते का समय मांगा।
यह देखते हुए कि मामला दक्षिणी जोनल बेंच के अधिकार क्षेत्र में आता है, एनजीटी ने मामले को आगे की कार्यवाही के लिए चेन्नई ट्रांसफर करने का आदेश दिया और सभी प्रतिवादियों को 3 दिसंबर को अगली सुनवाई से कम से कम एक हफ्ते पहले हलफनामे के जरिए अपना जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया।
एनजीटी ने अपने आदेश में कहा, “चूंकि यह मामला ट्रिब्यूनल की दक्षिणी जोनल बेंच के अधिकार क्षेत्र में आता है, इसलिए ओए (ओरिजनल एप्लीकेशन) को उचित कार्रवाई के लिए दक्षिणी जोनल बेंच, चेन्नई में ट्रांसफर किया जाता है। ओए का मूल रिकॉर्ड दक्षिणी जोनल बेंच, चेन्नई को ट्रांसफर किया जाए।”
इसमें आगे कहा गया है, “अगर कोई प्रतिवादी सीधे अपने वकील के जरिए जवाब दाखिल किए बिना जवाब दाखिल करता है, तो वह प्रतिवादी ट्रिब्यूनल की मदद के लिए वर्चुअली मौजूद रहेगा।”













