लोकसभा के मैदान में यूपी के सात विधायकों की अग्नि परीक्षा

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लखनऊ, 24 मार्च (आईएएनएस)। आगामी लोकसभा चुनावों में उत्तर प्रदेश के सात विधायकों की अग्नि परीक्षा होगी।

इन सभी विधायकों को उनके संबंधित दलों ने लोकसभा का टिकट दिया है। इनमें सबसे ज्यादा समाजवादी पार्टी से हैं।

सपा ने पांच विधायकों को मैदान में उतारा है जबकि एक-एक प्रत्याशी विधायक भारतीय जनता पार्टी और राष्ट्रीय लोकदल से हैं।

सपा ने अपने वरिष्ठतम नेता शिवपाल यादव को बदायूं से टिकट दिया है। वह इटावा में जसवंतनगर से विधायक हैं।

बदायूं पार्टी के लिए सुरक्षित सीट मानी जाती है। यहां चार लाख यादव और साढ़े तीन लाख मुस्लिम मतदाता हैं जो पारंपरिक तौर पर सपा का वोट बैंक रहे हैं।

बदायूँ में मौजूदा सांसद भाजपा की संघमित्रा मौर्य हैं, जो स्वामी प्रसाद मौर्य की बेटी हैं। उनकी उम्मीदवारी अभी तक अनिश्चित है। इसका मुख्य कारण उनके पिता की बदलती राजनीतिक वफादारी और सनातन धर्म के खिलाफ उनके बयान हैं।

संभल में सपा ने जियाउर्रहमान बर्क को मैदान में उतारा है, जो मुरादाबाद से सपा विधायक हैं। संभल से मौजूदा सांसद सपा के शफीकुर-रहमान बर्क थे जिनका हाल ही में निधन हो गया। जियाउर-रहमान उनके पोते हैं।

समाजवादी पार्टी ने अंबेडकर नगर से लालजी वर्मा को मैदान में उतारा है। वर्मा वर्तमान में इसी नाम के विधानसभा क्षेत्र से विधायक हैं। वह बसपा के पूर्व सांसद रितेश पांडे को चुनौती देंगे जो अब इस निर्वाचन क्षेत्र से भाजपा के उम्मीदवार हैं।

फैजाबाद में मिल्कीपुर से सपा विधायक अवधेश प्रसाद पार्टी के उम्मीदवार हैं। वह भाजपा के लल्लू सिंह को चुनौती देंगे जो लोकसभा में तीसरे कार्यकाल की तलाश में हैं।

सपा ने अपने वरिष्ठ विधायक रविदास मेहरोत्रा को केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के खिलाफ लखनऊ लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने के लिए चुना है।

अनुभवी राजनेता होते हुए भी इस प्रतिष्ठित सीट के लिए उनका पलड़ा हल्का माना जा रहा है।

दूसरी ओर, भाजपा ने अपने विधायक ओम कुमार को नगीना (सुरक्षित) सीट से मैदान में उतारा है। उन्हें सपा के मनोज कुमार और आजाद समाज पार्टी के चंद्र शेखर आजाद से चुनौती मिलेगी।

राष्ट्रीय लोकदल ने बिजनौर लोकसभा सीट से अपने विधायक चंदन चौहान को उम्मीदवार बनाया है। चौहान मुजफ्फरनगर की मीरापुर विधानसभा सीट से विधायक हैं और उन्हें सपा के यशवीर सिंह से चुनौती मिलेगी।

राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक, पार्टियों को लगता है कि अगर वे मौजूदा विधायकों को लोकसभा चुनाव में उतारेंगे तो उन्हें कम जोखिम होगा।

एक वरिष्ठ सपा नेता ने कहा, ”जो लोग चुनाव जीत चुके हैं, उनके पास पहले से ही अपना नेटवर्क है और उनके लिए संसदीय चुनाव लड़ना आसान है।”

लोकसभा चुनाव सात चरणों में 19 अप्रैल से 1 जून तक होंगे। मतगणना 4 जून को होगी।