कौशल विकास घोटाला: चंद्रबाबू नायडू की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट का खंडित फैसला

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नई दिल्ली, 16 जनवरी (आईएएनएस)। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को तेलुगु देशम पार्टी सुप्रीमो और आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू द्वारा कथित कौशल विकास निगम घोटाला मामले में उनके खिलाफ आपराधिक कार्यवाही को चुनौती देने वाली याचिका पर खंडित फैसला सुनाया।

न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस और न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी की विशेष पीठ ने इस सवाल पर खंडित निर्णय दिया था कि क्या पूर्व मुख्यमंत्री के खिलाफ कार्यवाही राज्य के राज्यपाल से मंजूरी प्राप्त किए बिना शुरू की जा सकती थी।

अपनी राय में, न्यायमूर्ति बोस ने कहा कि अधिनियम की धारा 17-ए के तहत पूर्व अनुमोदन प्राप्त किए बिना भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत शुरू की गई कोई भी कार्रवाई “अवैध” होगी। लेकिन उन्होंने राज्य सरकार को टीडीपी नेता पर मुकदमा चलाने के लिए नई मंजूरी प्राप्त करने की छूट दी।

दूसरी ओर, न्यायमूर्ति त्रिवेदी ने कहा कि मंजूरी प्राप्त न करना दंड संहिता के तहत एक लोक सेवक के खिलाफ दर्ज एफआईआर को रद्द करने का आधार नहीं हो सकता है। उन्होंने सितंबर 2023 में आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय द्वारा पारित आदेश को बरकरार रखा, जिसमें नायडू की उनके खिलाफ शुरू की गई आपराधिक कार्यवाही को रद्द करने और उनकी न्यायिक हिरासत को रद्द करने की याचिका खारिज कर दी गई थी।

परिणामस्वरूप, नायडू की याचिका पर निर्णय लेने के लिए एक बड़ी पीठ के गठन के लिए उचित आदेश के लिए मामले को भारत के मुख्य न्यायाधीश के पास भेज दिया गया है।

यह याद किया जा सकता है कि नायडू को पिछले साल 20 नवंबर को आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति टी मल्लिकार्जुन राव की पीठ द्वारा पहले से ही प्रस्तुत जमानत बांड पर नियमित जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया गया था।

आंध्र प्रदेश सरकार ने हाईकोर्ट के फैसले पर सवाल उठाते हुए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है।

–आईएएनएस

सीबीटी/