नई दिल्ली, 27 जून (आईएएनएस)। अर्थव्यवस्था के सकारात्मक संकेतकों, और मझौले तथा छोटे शहरों के साथ ग्रामीण इलाकों के ग्राहकों के बदलते तौर-तरीकों को देखते हुए दुनिया की शीर्ष वेंचर कैपिटल कंपनियों में से एक एक्सेल, घरेलू स्टार्टअप के लिए ‘भारत’ को एक ऐसे बड़े अवसर के रूप में देखता है जिसे अब तक ज्यादा भुनाया नहीं गया है।
एक्सेल के अनुसार, ‘भारत’ में पांच लाख से 15 लाख रुपये की सालाना आय वाले मध्यम वर्गीय परिवार हैं जो मझौले तथा छोटे शहरों और ग्रामीण इलाकों में रहते हैं।
एक्सेल के पार्टनर आनंद डेनियल ने आईएएनएस के साथ एक विशेष साक्षात्कार में ‘भारत’ के लिए विनिर्माण की अपार संभावनाओं पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि अपर्याप्त बुनियादी ढांचा, सीमित डिजिटल पहुंच और ग्राहकों की पसंद की समझ में कमी के कारण पारंपरिक तौर पर इन बाजारों में स्टार्टअप को संघर्ष करना पड़ा है।
डेनियल ने आईएएनएस को बताया कि प्रौद्योगिकी, लॉजिस्टिक्स तथा भुगतान प्रणालियों में हालिया तेजी से इन क्षेत्रों में सतत विकास की नींव पड़ चुकी है।
उन्होंने कहा कि आम तौर पर माना जाता है कि गांवों में गरीब लोग रहते हैं। लेकिन सच्चाई यह है कि इन क्षेत्रों के शीर्ष 20-30 प्रतिशत बाजार शहरी इलाकों की आधी आबादी की तुलना में हर महीने कहीं अधिक खर्च करती है। यह ग्रामीण इलाकों की महत्वपूर्ण क्रय शक्ति को दर्शाती है जिसकी आम तौर पर अनदेखी होती है।
एक हालिया ब्लॉग में एक्सेल ने कहा कि आबादी के इस हिस्से को मूल्य के प्रति संवेदनशील मानने की आम धारणा के विपरीत यह वर्ग काफी महत्वाकांक्षी है और ऐसी उत्पादों तथा सेवाओं को तरजीह दे रहा है जो बेहतर जीवनशैली का वादा करता है और वृद्धि को दर्शाता है। कंपनी ने बताया कि मझोले शहरों तथा उनसे भी दूरदराज के इलाकों में पुराने आईफोन की मांग बढ़ना इस ट्रेंड को परिलक्षित करता है।
डेनियल ने कहा, “हमारा मानना है कि यह बाजार बदलाव के लिए जितना अभी तैयार है, पहले कभी नहीं था। संस्थापकों को भारत अवसर को भुनाने की जरूरत है।
एक्सेल जैसे निवेशकों और एंटरप्रेन्योर्स के बीच ‘भारत के लिए विनिर्माण’ थीम समान रूप से लोकप्रिय हो रहा है जो कारोबारी मॉडल के विकास की तरफ रणनीतिक शिफ्ट को दर्शाता है, और भारत तथा इसकी विशिष्ट जरूरतों को पूरा करता है।
सवाल यह उठता है कि स्टार्टअप अब तक भारत के लिए विनिर्माण में सफल क्यों नहीं हुए हैं। एक्सेल का कहना है कि हाल के समय तक ग्रामीण भारत के बाजार को लक्ष्य करने वाले स्टार्टअप को अपर्याप्त बुनियादी ढांचा, ग्राहकों के बर्ताव की अनदेखी, फोकस की कमी के कारण संघर्ष करना पड़ा है। अन्य चुनौतियों में कमजोर डिलीवरी नेटवर्क, सभी जगह तक सेवा की अनुपलब्धता और अपर्याप्त रिवर्स लॉजिस्टिक्स शामिल हैं। इससे छोटे ऑर्डरों पर आने वाला खर्च बढ़ जाता है। डिजिटल भुगतान के बेहद कम विकल्प और अविश्वसनीय इंटरनेट कनेक्टिविटी समस्या को और बढ़ा रहे थे।
हालांकि, हालिया विकास से इन इलाकों में बदलाव देखने को मिल रहे हैं। यूपीआई भुगतान प्रणाली के आने से लेनदेन के तरीकों में क्रांतिकारी बदलाव हुए हैं। वहीं, जनधन खातों जैसी पहलों से वित्तीय समावेशन काफी बढ़ा है। लॉजिस्टिक्स कंपनियां अब कहीं ज्यादा पिन कोड पर सेवाएं दे रही हैं और डिलीवरी में लगने वाला समय कम हुआ है। ये महत्वपूर्ण सुधार हैं जो स्टार्टअप को भारत के अवसरों को भुनाने का मौका प्रदान करेंगे। ये ग्रामीण भारत में सेवाओं की डिलीवरी में बड़ा बदलाव लाएंगे।
एक्सेल को उम्मीद है कि अगले दशक में भारत के लिए कई ऐसी ई-कॉमर्स कंपनियां सामने आएंगी जिनका मूल्यांकन एक अरब डॉलर से अधिक होगा। वित्तीय सेवाओं का भी विस्तार होगा जो वंचित वर्ग को किफायती और आसान ऋण उपलब्ध कराएंगे।
डेनियल ने कहा, “पर्सनल लोन से लेकर मवेशियों या घर के लिए ऋण के क्षेत्र में नई ऋणदाता कंपनियां सामने आ सकती हैं जो सेवाओं की कम उपलब्धता वाले तथा महत्वाकांक्षी भारत के लिए टेक्नोलॉजी और विशेष उत्पाद ला सकेंगे।”
स्वास्थ्य सेवा का क्षेत्र भी निवेशकों के लिए बड़ा अवसर है। इसके साथ ही, एडटेक प्लेटफॉर्म भी सामने आएंगे और किफायती शिक्षा एवं सर्टिफिकेट कोर्स उपलब्ध कराकर कौशल की खाई को पाटने तथा रोजगार की जरूरतों को पूरा करने का काम करेंगे। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के विकास के साथ स्टार्टअप कई डोमेन में नवाचार कर रहे हैं।
उन्होंने कहा, “हम एआई की उस पहली कंज्यूमर कंपनी की इंतजार कर रहे हैं जो विभिन्न सेक्टरों में भारत की बड़ी आबादी को सशक्त बना सके।”