भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) के अधिकारी, अध्यक्ष संजय सिंह के नेतृत्व में, मंगलवार को दिल्ली में कॉमनवेल्थ गेम्स फेडरेशन (सीजीएफ) की सीईओ केटी सैडलेयर से मुलाकात करेंगे। इस बैठक का उद्देश्य 2026 कॉमनवेल्थ गेम्स में कुश्ती को फिर से शामिल कराने पर चर्चा करना है।
कुश्ती भारत के सबसे सफल खेलों में से एक है। इस खेल को अगले कॉमनवेल्थ गेम्स से हटाए जाने का फैसला लिया गया था। इस फैसले ने दुनियाभर के पहलवानों को असमंजस में डाल दिया है।
भारत ने कॉमनवेल्थ गेम्स में 114 पदक (49 स्वर्ण, 39 रजत, 26 कांस्य) जीते हैं। 2022 के बर्मिंघम खेलों में भारतीय पहलवानों ने 12 पदक जीते थे। जिसमें छह स्वर्ण शामिल हैं।
डब्ल्यूएफआई के अध्यक्ष संजय सिंह ने आईएएनएस से कहा, “भारतीय कुश्ती महासंघ के अधिकारी कॉमनवेल्थ गेम्स फेडरेशन की सीईओ से मिलने जा रहे हैं ताकि 2026 खेलों में कुश्ती को फिर से शामिल किया जा सके। सीजीएफ ने पहले कुश्ती को खेलों से हटा दिया था, जिससे पहलवानों के बीच असमंजस की स्थिति पैदा हो गई थी। हम इसे दोबारा शामिल करवाएंगे।”
2026 खेलों से कुश्ती को बाहर करने का फैसला कॉमनवेल्थ गेम्स फेडरेशन की 2026-30 रणनीतिक योजना का हिस्सा है, जो मेजबान देशों को नए खेलों को प्रस्तावित करने की और आजादी देता है। 2026 खेलों में नए खेल जैसे गोल्फ, बीएमएक्स और कोस्टल रोइंग की शुरुआत होने जा रही है। ये खेल ऑस्ट्रेलिया के विक्टोरिया राज्य में होने थे, लेकिन राज्य ने आयोजन रद्द कर दिया है।
1930 के बाद पहली बार होगा, जब कुश्ती कॉमनवेल्थ गेम्स का हिस्सा नहीं होगा। अन्य खेल जैसे तीरंदाजी और जूडो भी इस बार शामिल नहीं होंगे।
इसके विपरीत, निशानेबाजी 2022 में बाहर होने के बाद 2026 खेलों में वापसी करेगा। यह भी भारत का एक मजबूत खेल है। भारत निशानेबाजी में 135 पदकों के साथ दूसरा सबसे सफल देश है, जबकि ऑस्ट्रेलिया 171 पदकों के साथ पहले स्थान पर है।
घोषित कार्यक्रम के अनुसार, 2026 कॉमनवेल्थ गेम्स 17 से 29 मार्च 2026 तक आयोजित होंगे।