चेन्नई, 10 दिसंबर (आईएएनएस)। स्कूलों और उद्योगों के बीच के अंतर को कम करने के लिए, तमिलनाडु सरकार राज्य भर के सरकारी हाई और हायर सेकेंडरी स्कूलों में औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान (आईटीआई) शुरू करने पर विचार कर रही है। इसका मकसद छात्रों को स्कूल की पढ़ाई के साथ ही उद्योग के लिए तैयार कौशल (इंडस्ट्री-रेडी स्किल्स) प्रदान करना है।
यह पहल स्कूल शिक्षा विभाग और रोजगार और प्रशिक्षण विभाग मिलकर कर रहे हैं ताकि छात्रों में शुरुआती दौर में ही रोजगार पाने की क्षमता को बेहतर बनाया जा सके।
यह योजना अभी शुरुआती चरण में है और ‘स्कूल-आईटीआई’ नाम की एक नई अवधारणा पर आधारित है। इस मॉडल के तहत, औद्योगिक एवं व्यावसायिक प्रशिक्षण की सुविधाएं स्कूल कैंपस से ही चलेंगी, जिससे छात्र अपनी रेगुलर पढ़ाई के साथ-साथ टेक्निकल स्किल्स भी हासिल कर सकेंगे।
दोनों विभागों के वरिष्ठ अधिकारियों ने 4 दिसंबर को इस प्रस्ताव की संरचना, पात्रता मापदंड और लागू करने की संभावना पर चर्चा करने के लिए मुलाकात की। शुरुआती रोडमैप के हिस्से के तौर पर, रोजगार और प्रशिक्षण विभाग ने स्कूल-आईटीआई स्थापित करने के लिए 10 सरकारी स्कूलों को पायलट संस्थानों के तौर पर चुनने का सुझाव दिया है।
हालांकि, इसे लागू करने पर अभी कोई अंतिम फैसला नहीं लिया गया है, लेकिन आधारभूत संरचना और जगह की उपयुक्तता का आकलन करने के लिए तैयारी के कदम शुरू हो गए हैं। चर्चाओं के बाद, चुनिंदा जिलों के मुख्य शिक्षा अधिकारियों (सीईओ) को उन सरकारी हाई और हायर सेकेंडरी स्कूलों की सूची जमा करने का निर्देश दिया गया है, जहां इस प्रोजेक्ट को प्रभावी ढंग से लागू किया जा सकता है।
सीईओ को स्थानीय जरूरतों और मौजूदा सुविधाओं का मूल्यांकन करने के बाद सूची देने के लिए एक सप्ताह का समय दिया गया है। स्कूल-आईटीआई की मेजबानी के लिए योग्य माने जाने वाले स्कूलों के लिए कई शर्तें रखी गई हैं।
हर स्कूल के परिसर में कम से कम आधा एकड़ जमीन होनी चाहिए। अप्रयुक्त या कम इस्तेमाल होने वाली प्रयोगशालाओं और इमारतों को आईटीआई वर्कशॉप और ट्रेनिंग क्लासरूम में बदलने की भी मंजूरी होनी चाहिए।
फिलहाल, तमिलनाडु में आईटीआई उन छात्रों के लिए कई तरह के तकनीकी और वोकेशनल कोर्स प्रदान करते हैं जो कक्षा 10 या 12 पूरी कर चुके हैं, जिसमें उत्पादन, विद्युत, यांत्रिक और सर्विस सेक्टर में कई ट्रेड शामिल हैं।
स्कूल शिक्षा विभाग ने पहले ही 2021-22 एकेडमिक साल से क्लास 11 और 12 के पाठ्यक्रम को फिर से बनाकर वोकेशनल शिक्षा को मजबूत करने के कदम उठाए हैं, जिसमें रोजगार पर फोकस किया गया है। अगर पायलट फेज को मंज़ूरी मिल जाती है और इसे पूरे राज्य में बढ़ाया जाता है।

