यूपी : 16 साल बाद पत्रकार बृजेश गुप्ता हत्याकांड में इंसाफ, चार को उम्रकैद

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कानपुर, 15 अक्टूबर (आईएएनएस)। 16 साल पुराने सनसनीखेज पत्रकार बृजेश गुप्ता हत्याकांड में आखिरकार न्याय की जीत हुई। एडीजे-19 राकेश सिंह की अदालत ने न्यूज एंकर कनिका ग्रोवर, उसके भाइयों सन्नी और मन्नी, तथा रिश्तेदार सुरजीत सिंह को हत्या का दोषी करार देते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई।

वहीं, सबूत मिटाने के आरोप में बंटी उर्फ राजीव कुमार को पांच साल कैद की सजा दी गई। बाबूपुरवा निवासी पत्रकार प्रभात गुप्ता के छोटे भाई बृजेश गुप्ता स्थानीय चैनल के संचालक थे। 13 जून 2009 की शाम करीब साढ़े चार बजे वह गौशाला चौराहे पर प्रभात से मिले और बोले कि कनिका ग्रोवर को घर छोड़ने जा रहे हैं। इसके बाद वे लौटकर नहीं आए।

अगले दिन उनकी कार की पिछली सीट पर बोरी में बंद उनका शव मिला। सिर पर चोट, एक आंख खुली, दूसरी बंद और रिवॉल्वर व पांच अंगूठियां गायब थीं। इस दृश्य ने पूरे कानपुर को दहला दिया।

जांच में खुलासा हुआ कि कनिका के पिता, राजेंद्र ग्रोवर, को चरस तस्करी और चोरी के केस में पुलिस ने जेल भेजा था।

इसकी जानकारी बृजेश ने कनिका को दी थी और बाद में उसे नौकरी से निकाल दिया था। इसी से नाराज होकर कनिका ने भाइयों सन्नी-मन्नी और रिश्तेदार सुरजीत सिंह के साथ साजिश रची।

बृजेश को बुलाया गया, फिर हथौड़े और चाकू से बेरहमी से हमला कर हत्या कर दी गई। बाद में शव को बोरे में भरकर कार में डाल दिया गया।

अभियोजन पक्ष ने 10 गवाहों को पेश किया। एडीजीसी गौरेंद्र नारायण त्रिपाठी के अनुसार सबूतों और गवाहों के बयान ने आरोपियों की भूमिका स्पष्ट कर दी। अदालत ने चारों मुख्य आरोपियों को आजीवन कारावास और सबूत मिटाने वाले बंटी को पांच साल की सजा सुनाई।

पत्रकार प्रभात गुप्ता ने उस समय गोविंद नगर थाने में कनिका, सन्नी, मन्नी, उनकी मां अल्का, सुरजीत और बंटी के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई थी।

लंबे कानूनी संघर्ष के बाद आया यह फैसला एक तरफ परिवार के लिए राहत लेकर आया, बल्कि दूसरी तरफ पत्रकारों की सुरक्षा और न्याय प्रणाली की मजबूती पर सवाल खड़े कर गया।