लिटिल बैले ट्रुप की 72 वर्ष की यात्रा को दर्शाती डॉक्यूमेंट्री फिल्म का रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय में हुआ प्रदर्शन

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भोपाल : 10 फरवरी/ रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय में रंग श्री लिटिल बैले ट्रुप की यात्रा पर एक डॉक्यूमेंट्री का प्रदर्शन किया गया। इसमें रंग श्री लिटिल बैले ट्रुप की आरंभिक यात्रा से लेकर अब तक की कहानी का प्रदर्शन किया गया है। इस कार्यक्रम में रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय के कुलाधिपति संतोष चौबे बतौर अतिथि उपस्थित रहे। उन्होंने अपने वक्तव्य में डॉक्यूमेंट्री फिल्म प्रस्तुति का एक सशक्त माध्यम है। जो समाज के विभिन्न पहलुओं को सामने रखती है। उन्होंने अपने वक्तव्य में आगे कहा कि डॉक्यूमेंट्री फिल्में कहानी की दुनिया में एक अद्वितीय स्थान रखती हैं। वह सिर्फ एक शैली से कहीं अधिक हैं। वह दृश्यों के जरिए कहानी कहने की शक्ति को समझने के लिए एक आवश्यक माध्यम है। हमें वृत्त चित्रों को उन आवाजों को उठाने के लिए माध्यम के रूप में देखना चाहिए जो अक्सर सुनी अनसुनी हो जाती हैं, उन सच्चाइयों पर प्रकाश डालने के लिए, जिन्हें अनदेखा कर दिया जाता है। वे आपको सहानुभूति सीखाती हैं। डॉक्यूमेंट्री पर काम करना अनुशासन और अनुकुलन क्षमता सीखाता है। आप कठिन परिस्थितियों से निपटना सीखते हैं, विभिन्न स्तरों पर लोगों से जुड़ते हैं और नाटकीयता के आकर्षण के बजाय कहानी की प्रमाणिकता का सम्मान करते हैं। वृत्त चित्र हमें याद दिलाते हैं कि सिनेमा सिर्फ मनोरंजन नहीं, यह परिवर्तन और प्रतिबिंब का एक सशक्त माध्यम है।

इस फिल्म के निर्देशक सौरभ दत्ता ने बताया कि लिटिल बले ट्रुप की इस लंबी यात्रा के दौरान हुए विभिन्न उतार-चढ़ावों को इस फिल्म में दिखाने का प्रयास किया गया है। उससे जुड़े लोगों की साधना और तपस्या को हम आने वाली पीढ़ियों के सामने रखना चाहते हैं और हमारी इस विरासत को संजोकर रखना चाहते हैं।

इस दौरान फिल्म के निर्देशक सौरभ दत्ता से छात्रों द्वारा सवाल जवाब भी किए गए। कार्यक्रम का संचालन मौसमी परिहार ने किया। आभार प्रदर्शन रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय की कुलसचिव डॉ. संगीता जौहरी ने किया। इस फिल्म की निर्माता नूतन भाकल, रंग श्री लिटिल बैले ट्रुप के संयोजक राम प्रकाश त्रिपाठी और डॉ. निरूपा जोशी भी विशेष रूप से उपस्थित रहे।