समस्तीपुर, (बिहार) 26 नवंबर (आईएएनएस)। आईपीएल मेगा नीलामी में 1 करोड़ 10 लाख में खरीदे जाने के बाद युवा क्रिकेटर वैभव सूर्यवंशी के घर-परिवार और गांव में जश्न का माहौल है। क्रिकेट की दुनिया में एक छोटी सी उम्र में यह मुकाम हासिल करने वाले इस लड़के के पीछे कई वर्षों की कड़ी मेहनत और पिता का संघर्ष शामिल है।
बिहार के वैभव ने सिर्फ 13 साल की उम्र में आईपीएल नीलामी के लिए शॉर्टलिस्ट किए गए सबसे कम उम्र के खिलाड़ी के रूप में इतिहास रच दिया था। अब उन्हें टीम भी मिल गई है। वैभव के लिए राजस्थान और दिल्ली कैपिटल्स के बीच लड़ाई थी लेकिन बाजी राजस्थान ने मारी। सबसे कम उम्र में इतनी अधिक राशि में बिकने वाले वैभव भविष्य में एक दिग्गज क्रिकेटर बनने का माद्दा रखते हैं। उनका बेस प्राइस 30 लाख रुपये था। वैभव ने महज 5 साल की उम्र में क्रिकेट खेलना शुरू किया था और अपनी कड़ी मेहनत और समर्पण से क्रिकेट की दुनिया में अपनी पहचान बनाई।
वैभव के पिता संजीव सूर्यवंशी ने आईएएनएस को बताया, “अपने बेटे को इस मुकाम पर पहुंचने के लिए उन्होंने कई परेशानी झेली। लेकिन वैभव में जो क्षमता थी और उनकी क्रिकेट के प्रति भूख देखकर उन्हें हमेशा हिम्मत मिलती थी। एक दौर ऐसा भी आया उनके परिवार को आर्थिक परेशानी झेलने के कारण अपनी जमीन का कुछ हिस्सा भी बेचना पड़ा। लेकिन वह पीछे नहीं हटे और बच्चे को कमी खलने नहीं दी। उसके जरूरत की चीजों को हमेशा पूरा किया। अब उनकी ख्वाहिश है कि उनका बेटा भारत के लिए खेले। हालांकि, वह अभी अंडर-19 और एशिया कप भी खेल रहा है। लेकिन वह चाहते हैं कि बहुत जल्द वह भारत के मुख्य टीम का हिस्सा बने और देश का प्रतिनिधित्व करें।
वैभव सूर्यवंशी के चाचा राजीव सूर्यवंशी ने बताया कि बचपन से ही वैभव सूर्यवंशी में खेल के प्रति जुनून था। 3 वर्ष की उम्र में ही वह बल्ला लेकर भागता था। वैभव के पिता संजीव सूर्यवंशी भी क्रिकेटर रहे हैं। लेकिन बेटे को राष्ट्रीय स्तर का खिलाड़ी बनाने के लिए वह दिन रात मेहनत कर रहे हैं और अपने बेटे को हर जरूरत की चीजें मुहैया करा रहे हैं। वैभव में प्रतिभा है और हम सभी को पूरा भरोसा है कि वह एक दिन देश के लिए भी खेलेंगे।
वैभव की दादी ने कहा, “उनका पोता बचपन से ही नटखट था वह तो चाहती थी कि उनका पोता आईएएस, आईपीएस बने लेकिन बचपन से ही उसमें खेल का जुनून था। कई बार वह उसे रोकने के लिए भी उसके पीछे दौड़ती थी लेकिन उनके बेटे संजीव ने उन्हें इसके लिए मना कर दिया। जिसके बाद उन्होंने अपने पोते को खेलने के लिए डांटना छोड़ दिया और अब वह अपने पोते की सफलता को देखकर बहुत खुश हैं।”
इस युवा क्रिकेटर के ग्रामीणों का भी यही मानना है कि वैभव सूर्यवंशी को क्रिकेटर बनने में उनके पिता संजीव सूर्यवंशी ने काफी त्याग किया है।वैभव के प्रैक्टिस में परेशानी ना हो इसलिए कोरोना काल में ही उन्होंने अपने घर के सामने नेट (प्रैक्टिस एरिया) बनाया और गांव के ही कुछ बच्चों को बुलाया, जो उसे बॉलिंग करते थे। यहां के सभी लोगों को पूरी उम्मीद है कि वैभव एक दिग्गज क्रिकेटर बनेंगे, क्योंकि उनमें प्रतिभा है।