Saturday, October 25, 2025
SGSU Advertisement

साहित्य

जीवन, सियासत और समाज का संगम हैं अकबर इलाहाबादी की शायरियां

नई दिल्ली, 8 सितंबर (आईएएनएस)। 'हम आह भी करते हैं तो हो जाते हैं बदनाम, वो कत्ल भी करते हैं तो चर्चा नहीं होती,' ये शायरी है अकबर इलाहाबादी की, जो उर्दू साहित्य के एक ऐसे शायर थे जिन्होंने अपनी बेबाकी, हास्य-व्यंग्य और हिंदुस्तानी तहजीब को अपनी शायरी में बखूबी पिरोने का काम किया।

राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय में हुआ ‘उनके हिस्से का प्रेम’ और ‘ग़रीबनवाज़’ कहानियों का मंचन

भोपाल : 7 सितम्बर/ सुप्रसिद्ध कथाकार संतोष चौबे की दो कहानियों 'उनके हिस्से का प्रेम' और 'ग़रीबनवाज़' का मंचन प्रख्यात नाट्य निर्देशक देवेन्द्र राज...

बर्थडे स्पेशल: ‘काकाबाबू’ के जासूसी किरदार से भरा रोमांच, पहला उपन्यास लिखकर डर गए...

नई दिल्ली, 6 सितंबर (आईएएनएस)। बंगाली साहित्य के सबसे प्रसिद्ध और बहुआयामी लेखकों में से एक, सुनील गंगोपाध्याय ने बंगाली साहित्य की दुनिया में बतौर कवि प्रवेश किया था। 1953 में उन्होंने कृत्तिबास नाम की पत्रिका की शुरुआत की, जो बाद में युवा कवियों के लिए एक मंच बन गई। इसके बाद 1965 में उन्होंने पहला उपन्यास 'आत्मप्रकाश' लिखा, लेकिन कवि से उपन्यासकार बनने का अनुभव उनके लिए डरावना था।

साहित्य अकादमी दिल्ली में ‘संतोष चौबे के नए कहानी संग्रह ‘ग़रीबनवाज़’ का हुआ लोकार्पण

भोपाल : 5 सितम्बर/ वरिष्ठ कवि–कथाकार, निदेशक विश्व रंग एवं रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय के कुलाधिपति श्री संतोष चौबे के ताजा कहानी संग्रह 'ग़रीबनवाज़' का...

शरद जोशी: व्यंग्य के सरताज, हास्य के जादूगर, समाज और सत्ता को दिखाया आईना

नई दिल्ली, 4 सितंबर (आईएएनएस)। हिन्दी साहित्य में कुछ नाम ऐसे हैं, जिन्होंने अपनी लेखनी से न केवल हंसी बिखेरी हैं, बल्कि समाज की नब्ज को भी टटोला है। शरद जोशी ऐसे ही एक अनमोल रत्न हैं, जिन्होंने व्यंग्य को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया। वे ऐसे व्यंग्यकार रहे, जिन्होंने अपनी लेखनी से समाज के चेहरे पर हंसी की रेखाएं खींचीं, मगर उन रेखाओं में छिपी थी गहरी चोट और आत्ममंथन की पुकार।

दुष्यंत कुमार: सामाजिक चेतना की बुलंद आवाज, जिनकी कविताएं करती थीं सत्ता से सवाल

नई दिल्ली, 31 अगस्त (आईएएनएस)। 'हो गई है पीर पर्वत-सी पिघलनी चाहिए, इस हिमालय से कोई गंगा निकलनी चाहिए। सिर्फ हंगामा खड़ा करना मेरा मकसद नहीं, मेरी कोशिश है कि ये सूरत बदलनी चाहिए। मेरे सीने में नहीं तो तेरे सीने में सही, हो कहीं भी आग, लेकिन आग जलनी चाहिए।' इस कविता को पढ़ते ही मन में आम आदमी की गहरी पीड़ा, अंतहीन संघर्ष और उबलते आक्रोश की तस्वीर सामने आती है। दुष्यंत कुमार ने इन पंक्तियों में न केवल भावनाओं को उकेरा, बल्कि समाज में बदलाव की तीव्र चाह को भी आवाज दी।

जयंती विशेष: शिवाजी सांवत कैसे बने ‘मृत्युंजयकार’, क्यों कहा- ‘ये पात्र मेरे मन मस्तिष्क...

नई दिल्ली, 30 अगस्त (आईएएनएस)। 2025 में एक फिल्म रिलीज हुई नाम था 'छावा'। 'जेन अल्फा' इसका फैन हो गया। फिल्म की स्टार कास्ट तो शानदार थी ही लेकिन इसकी कहानी धांसू थी। मूल प्रेरणा इसी नाम से लिखा गया उपन्यास 'छावा' था। जिसे रचा था शिवाजी सावंत ने। अंग्रेजी में एक शब्द है 'मास हिस्टिीरिया', यानी लोगों को अपने कलम के जादू से दिवाना बना देना। इस कथाकार ने जो भी गढ़ा वो कुछ ऐसा ही था। मराठी में लिखा उपन्यास 'मृत्युंजय' इनकी बड़ी पहचान है। उपन्यास की समीक्षा बहुत होती है लेकिन शिवाजी सावंत के 'मृत्युंजय' का प्रिव्यू बहुत जरूरी है। जिससे एहसास हो कि रचना यूं ही नहीं गढ़ी जाती बल्कि इसके पीछे अथक प्रयास, सुलझे विचार और इतिहास की परख जरूरी होती है। कर्ण की पीड़ा को सधे शब्द मिलते हैं तो वो पाठकों की आत्मा को छू जाती है।

जयंती विशेष: जब साहित्यकार भगवती चरण वर्मा को मुंबई ने रोक लिया, जानिए पूरी...

नई दिल्ली, 29 अगस्त (आईएएनएस)। हिंदी साहित्य के दिग्गज रचनाकार भगवती चरण वर्मा को हम उपन्यासों, कहानियों और कविताओं के लिए जानते हैं, लेकिन उनका जीवन सिर्फ साहित्य तक सीमित नहीं रहा। जीवन में ऐसे कई मोड़ आए, जब वो साहित्य, समाज और सिनेमा की गलियों से गुजरते नजर आए। इन्हीं में से एक बदलाव उनके जीवन में सपनों की नगरी मुंबई लेकर आई।

एक लेखक की जिंदगी में बहुत सी बाधाएं, कहानी लिखते वक्त हुआ एहसास: दिव्या...

मुंबई, 29 अगस्त (आईएएनएस)। अभिनेत्री दिव्या दत्ता को हाल ही में वेब सीरीज ‘मायासभा’ में देखा गया था। ये एक साउथ इंडियन पॉलिटिकल-थ्रिलर वेब सीरीज है। नेशनल अवॉर्ड जीत चुकीं एक्ट्रेस दिव्या दत्ता को अलग-अलग प्रोजेक्ट में कई बेहतरीन किरदारों में देखा गया। वो एक बेहतरीन एक्ट्रेस होने के साथ ही एक अच्छी लेखिका भी हैं। उन्होंने 'मी एंड मा' और 'द स्टार्स इन माई स्काई: दोज हू ब्राइटन्ड माई फिल्म जर्नी' नाम की दो किताबें लिखी हैं।

सुप्रतिष्ठित कवि–कथाकार श्री संतोष चौबे “सुदीर्घ सेवा सम्मान–2025” से हुए सम्मानित

भोपाल : 28 अगस्त/ आकार वीडियोटेक के प्रतिष्ठित आयोजन ‘आकार फिल्मोत्सव’ में सुप्रसिद्ध कवि–कथाकार एवं विश्व रंग के निदेशक श्री संतोष चौबे को साहित्य,...

खरी बात