भारत ‘ग्लोबल सेमीकंडक्टर इकोसिस्टम’ में ‘की-प्लेयर’ के रूप में खुद को बना रहा मजबूत

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    नई दिल्ली, 12 अप्रैल (आईएएनएस)। एआई, 5जी, ईवी, इंटरनेट ऑफ थिंग्स (आईओटी) और एडवांस कंप्यूटिंग की वजह से सेमीकंडक्टर की मांग दुनिया भर में तेजी से बढ़ रही है। इसके साथ ही भारत अपने टैलेंट, पॉलिसी पुश और स्ट्रैटेजिक लोकेशन का लाभ उठाते हुए सेमीकंडक्टर इनोवेशन और मैन्युफैक्चरिंग का हब बन रहा है।

    भारत में सेमीकंडक्टर इंडस्ट्री सालाना आधार पर 21 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 2024 में रिकॉर्ड 656 बिलियन डॉलर तक पहुंच गई, जिसकी बदौलत भारत तेजी से ग्लोबल सेमीकंडक्टर इकोसिस्टम में की-प्लेयर के रूप में अपनी स्थिति को मजबूत बना रहा है।

    गार्टनर की हालिया रिपोर्ट के अनुसार, एनवीडिया टॉप 10 चिप सप्लायर में सबसे आगे है और सबसे बड़ा योगदान जीपीयू, सीपीयू, मेमोरी और मोबाइल एसओसी का है।

    सरकार के ‘सेमीकॉन इंडिया’ कार्यक्रम के तहत, घरेलू चिप निर्माण, एडवांस पैकेजिंग और सेमीकंडक्टर डिजाइन को बढ़ावा देने के लिए 76,000 करोड़ रुपये (10 बिलियन डॉलर) का प्रोत्साहन पैकेज शुरू किया गया है।

    सेमी आईईएसए के अध्यक्ष अशोक चांडक ने कहा, “उद्योग जगत की मजबूत भागीदारी के साथ-साथ, आईईएसए सदस्य कंपनियों और कई भारतीय राज्यों में ग्लोबल प्लेयर्स ने 20 बिलियन डॉलर से अधिक का निवेश पहले ही कर लिया है।”

    इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय से अप्रूव्ड प्रमुख परियोजनाओं के अलावा, कई सेमीकंडक्टर पहलों को विभिन्न राज्य सरकारों से मजबूत समर्थन मिला है, जिसमें कई प्रमुख भारतीय कॉरपोरेट सक्रिय रूप से भाग ले रहे हैं।

    गुजरात भारत की पहली डेडिकेटेड सेमीकंडक्टर पॉलिसी के साथ आगे बढ़ रहा है। राज्यों ने पहले ही प्रमुख फैब प्रस्तावों को आकर्षित किया है। इसी तरह, छत्तीसगढ़, असम, उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, तमिलनाडु, मध्य प्रदेश और ओडिशा ने नीति समर्थन और कर प्रोत्साहन के साथ एक बेहतरीन फ्रेमवर्क तैयार किया है।

    हाल ही में गांधीनगर में आयोजित ‘आईईएसए विजन समिट’ ने भारत के सेमीकंडक्टर और इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्र में अपार संभावनाओं और बढ़ती रुचि को प्रदर्शित किया, जिसमें 2,500 से अधिक प्रतिनिधि, 300 अंतरराष्ट्रीय प्रतिभागी, सात देशों के राउंडटेबल, 100 प्रदर्शक और 100 रिसर्च पोस्टर प्रस्तुतियां शामिल हुईं।

    भारत के सेमीकंडक्टर बाजार पर हाल ही में आईईएसए की एक रिपोर्ट के अनुसार, घरेलू मांग 2030 तक 103 बिलियन डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है, जबकि वैश्विक बाजार 1 ट्रिलियन डॉलर के आंकड़े को पार कर सकता है।