नई दिल्ली, 26 नवंबर (आईएएनएस)। वित्त वर्ष 2025 की दूसरी तिमाही में भारत के हेल्थकेयर सेक्टर के राजस्व में उछाल दर्ज हुआ है। एक लेटेस्ट रिपोर्ट के अनुसार, इस अवधि के दौरान हेल्थकेयर सेक्टर का राजस्व सालाना आधार पर 17.6 प्रतिशत बढ़ा।
एक्सिस सिक्योरिटीज की लेटेस्ट रिपोर्ट के अनुसार, हेल्थकेयर सेक्टर के राजस्व में तिमाही आधार पर 10.4 प्रतिशत वृद्धि हुई।
हेल्थ केयर सेक्टर के राजस्व में बढ़ोतरी का कारण हॉस्पिटल ऑक्यूपेंसी रेट का बढ़ना था, जो कि सालाना आधार पर 340 बीपीएस और तिमाही आधार पर 470 बीपीएस बढ़ा।
इसके अलावा, बीमा भुगतानकर्ताओं ने हॉस्पिटल सेगमेंट में कुल राजस्व का 33 प्रतिशत योगदान दिया, जो कि सालाना आधार पर 23 प्रतिशत और तिमाही आधार पर 12 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है।
हालांकि, रिपोर्ट में कहा गया है कि इंश्योरेंस पेनिट्रेशन अभी भी कम बना हुआ है। जागरूकता और क्रय शक्ति बढ़ने के साथ ही इसमें विस्तार की गुंजाइश है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि कैंसर और हृदय संबंधी देखभाल में दोहरे अंकों की वृद्धि जारी है। इसके अलावा, हेल्थकेयर सेक्टर में बढ़ता ऑक्यूपेंसी रेट और एवरेज रेवेन्यू पर ऑक्यूपाइड बेड (एआरपीओबी) को लेकर भविष्य में वृद्धि जारी रहेगी।
रिपोर्ट में वित्त वर्ष 2025 की दूसरी तिमाही में भारतीय फार्मा सेक्टर में मजबूत वृद्धि दर्ज की गई। भारत की प्रमुख दवा कंपनियों ने वित्त वर्ष 2025 की दूसरी तिमाही में 10 प्रतिशत की वार्षिक वृद्धि दर्ज की।
यह वृद्धि उत्तरी अमेरिका और घरेलू बाजार में बेहतर प्रदर्शन से जुड़ी थी।
इंडियन फार्मास्युटिकल मार्केट (आईपीएम) में सालाना आधार पर 8 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जिसमें क्रोनिक थेरेपी में 9 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई।
हालांकि, एक्यूट थेरेपी में मामूली 4 प्रतिशत की वृद्धि हुई। रिपोर्ट में इस बात पर प्रकाश डाला गया कि कवरेज के तहत फार्मास्युटिकल सेक्टर में सालाना आधार पर 10.2 प्रतिशत और तिमाही आधार पर 1.7 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई, जिसमें उत्तरी अमेरिका में सालाना आधार पर 10.8 प्रतिशत की वृद्धि और भारतीय व्यवसाय में सालाना आधार पर 9.8 प्रतिशत की वृद्धि शामिल है।
अगले तीन वर्षों में फार्मास्युटिकल सेक्टर में बायोसिमिलर, जीएलपी-1 (ग्लूकागन-जैसे पेप्टाइड-1) और पेप्टाइड्स की वजह से वृद्धि बनी हुई है, जो डायबिटीज और दूसरे उपचार के लिए महत्वपूर्ण हैं।
क्रोनिक थेरेपी पोर्टफोलियो में महत्वपूर्ण हिस्सेदारी वाली कंपनियां व्यापक बाजार में बेहतर प्रदर्शन करना जारी रखती हैं।