पेशावर, 23 नवंबर (आईएएनएस)। पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा (केपी) प्रांत के कुर्रम जिले में स्थिति बेहद तनावपूर्ण बनी हुई है। सांप्रदायिक हिंसा में कई लोगों की मौत हो गई है। सरकार और पुलिस शांति बहाल करने की कोशिशों में लगी हुई है।
डॉन डॉट कॉम की रिपोर्ट के मुताबिक ताजा झड़पों में 18 और लोग मारे गए और 30 अन्य घायल हो गए।
रिपोर्ट के मुताबिक यह हिंसा गुरुवार को हुए घातक हमले के बाद हुई है, जब कुर्रम के घनी आबादी वाले बागान शहर में लगभग 200 वाहनों के काफिले पर भारी गोलीबारी की गई। बताया जा रहा है कि काफिले में अधिकतर शिया यात्री थे। हमले में कम से कम 43 लोग मारे गए थे और 16 अन्य घायल हो गए थे।
यह काफिला पेशावर और पाराचिनार शहर के बीच यात्रियों को ले जा रहा था, जो कि अफगानिस्तान सीमा के निकट कुर्रम जिले में है, जहां सांप्रदायिक हिंसा और भूमि विवादों का इतिहास रहा है।
डॉन डॉट कॉम के अनुसार कुर्रम के डिप्टी कमिश्नर (डीसी) जावेदउल्ला महसूद ने कहा कि इलाके में शांति बहाल करने के प्रयास किए जा रहे हैं।
इस बीच प्रतिबंधित शिया संगठन जैनबियून ब्रिगेड ने गुरुवार को अज्ञात बंदूकधारियों द्वारा 43 शिया मुसलमानों की हत्या का बदला लेने की कसम खाई है। पीड़ित शिया बहुल क्षेत्र पाराचिनार से पेशावर जा रहे थे।
शुक्रवार से देशभर में हिंसा की कई घटनाएं सामने आई हैं, जिसमें गुस्साए प्रदर्शनकारियों ने यात्री वाहनों, एम्बुलेंसों और पुलिस की गाड़ियों को निशाना बनाया है।
हत्याकांड के विरोध में गुस्साए प्रदर्शनकारियों ने ट्रकों में आग लगा दी, पुलिस वाहनों पर पथराव किया और सेना के काफिले के मार्गों को ब्लॉक कर दिया। वे कानून-व्यवस्था की बहाली और शांति बनाए रखने में सरकार की विफलता से नाराज हैं।
स्थानीय लोगों को डर है कि इन हत्याओं से ईरान समर्थित शिया उग्रवादी समूह जैनीबियून नाराज हो गया है, जो अब उन गांवों में आग लगा सकता है, जहां से बंदूकधारियों ने पीड़ितों के काफिले पर हमला किया था।
शिया बहुल पाराचिनार क्षेत्र ने अतीत में सुन्नी बहुल आसपास के क्षेत्रों के साथ खूनी संघर्ष देखा है। यहां बाजार और शैक्षणिक संस्थान पूरी तरह बंद हैं तथा स्थानीय लोग हिंसक विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।
अब तक कम से कम दो सुरक्षा चौकियों को आग के हवाले कर दिया गया है, जबकि सड़कों को पत्थरों और जलते हुए टायरों से ब्लॉक कर दिया गया है।
पाराचिनार के एक स्थानीय निवासी ने कहा, “यह क्षेत्र सांप्रदायिक हिंसा के कारण बुरी तरह प्रभावित हुआ है। धमकियां दी जा रही हैं कि हत्याओं का बदला उन सभी गांवों में आग लगाकर लिया जाएगा, जहां से बंदूकधारियों ने वाहनों पर गोलीबारी की थी। वे इन गांवों में रहने वाले सभी लोगों को मारना चाहते हैं।”
पाराचिनार में प्रदर्शनकारी तेजी से बिगड़ते हालात, भोजन, दवाइयों, ईंधन और ऑक्सीजन की कमी के बीच अफगानिस्तान के साथ सीमा को तुरंत खोलने की भी मांग कर रहे हैं।
शिया संगठन और राजनीतिक दल माजिस वहदत मुस्लिमीन (एमडब्ल्यूएम) ने सरकार के सामने मांगें रखी हैं, जिनमें असुरक्षित सड़कों के कारण पाराचिनार एयरपोर्ट को चालू करना और पीआईए या वायु सेना के विमानों के जरिए पाराचिनार और पेशावर के बीच मुफ्त शटल सेवा शुरू करना शामिल है।
एमडब्ल्यूएम ने संघीय बलों की जगह स्थानीय कुर्रम मिलिशिया को तैनात करने की भी मांग की है।
प्रदर्शनकारियों ने चेतावनी दी है कि अगर प्रांतीय और संघीय सरकार ने उनकी मांगों को नजरअंदाज किया तो उन्हें मानवाधिकार संगठनों और यहां तक कि संयुक्त राष्ट्र से भी मदद मांगने के लिए मजबूर होना पड़ेगा।