संसद की सुरक्षा सेंध: दिल्ली की अदालत ने नीलम आज़ाद को जमानत देने से इनकार किया

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नई दिल्ली, 18 जनवरी (आईएएनएस)। दिल्ली की एक अदालत ने गुरुवार को 13 दिसंबर 2023 को संसद सुरक्षा उल्लंघन मामले में छह आरोपियों में से एक नीलम आजाद को जमानत देने से इनकार कर दिया।

पटियाला हाउस कोर्ट की अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश हरदीप कौर ने मंगलवार को मामले में फैसला सुरक्षित रख लिया था।

दिल्ली पुलिस ने मंगलवार को आज़ाद की जमानत याचिका का विरोध करते हुए कहा था कि सामग्री और दस्तावेजी साक्ष्य अपराध में उसकी संलिप्तता को दर्शाते हैं, जिससे वह जमानत पर रिहाई के लिए अयोग्य हो जाती है।

पुलिस ने तर्क दिया था कि आरोपी के खिलाफ उचित आधार हैं और चल रही जांच को देखते हुए जमानत नहीं दी जानी चाहिए।

आरोपी के कथित प्रभाव और शक्ति का हवाला देते हुए, उसने जमानत पर रिहा होने पर जांच एजेंसी पर संभावित प्रभाव के बारे में चिंता व्यक्त की थी।

जमानत के फैसले में प्रासंगिक विचारों के रूप में संभावित सजा की गंभीरता के साथ-साथ अपराध की प्रकृति और गंभीरता पर जोर दिया गया था।

आज़ाद ने दिल्ली पुलिस की हिरासत से तुरंत रिहाई की मांग की थी। अपनी गिरफ्तारी को “अवैध” बताते हुए उसने कहा कि यह संविधान के अनुच्छेद 22 (1) का उल्लंघन है।

आज़ाद को तीन अन्य आरोपियों के साथ 13 दिसंबर को संसद परिसर के बाहर से गिरफ्तार किया गया था। उसने 21 दिसंबर 2023 के रिमांड आदेश की वैधता को इस आधार पर चुनौती दी थी कि उसे कार्यवाही के दौरान अपने वकील से परामर्श करने की अनुमति नहीं दी गई थी।

उसने आगे आरोप लगाया कि उसे 29 घंटे बाद अदालत में पेश किया गया, जो कानून के विरुद्ध था।

याचिका में कहा गया था कि अदालत ने पहले रिमांड आवेदन पर फैसला करके और फिर याचिकाकर्ता से यह पूछकर कि क्या वह अपनी पसंद के वकील द्वारा बचाव करना चाहती है, एक घातक त्रुटि की है।

याचिका में कहा गया है, “इस प्रकार, संविधान के अनुच्छेद 22(1) के तहत गारंटीकृत अधिकार का घोर उल्लंघन किया गया, जिससे 21 दिसंबर का रिमांड आदेश गैरकानूनी हो गया।”

दिल्ली पुलिस ने अदालत को बताया है कि मामले के आरोपी “कट्टर अपराधी” थे, जो लगातार अपने बयान बदल रहे थे।

पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत प्राथमिकी दर्ज की है और सुरक्षा चूक मामले की जांच कर रही है। इसने अदालत को सूचित किया था कि उन्होंने आरोपियों के खिलाफ आरोपों में यूएपीए की धारा 16 (आतंकवाद) और 18 (आतंकवाद की साजिश) शामिल की है।

संसद पर 2001 के आतंकवादी हमलों की 22वीं बरसी पर 13 दिसंबर 2023 को एक बड़े सुरक्षा सेंध में दो आरोपी दर्शक दीर्घा से लोकसभा के अंदर कूद गए। उन्होंने पीली गैस छोड़ी, और सांसदों द्वारा पकड़े जाने से पहले नारे लगाए। दो अन्य ने संसद परिसर के बाहर नारे लगाते हुए रंगीन गैस का धुआँ कर दिया।

–आईएएनएस

एकेजे/