मुंबई, 31 जुलाई (आईएएनएस)। मालेगांव विस्फोट मामले के आरोपियों में से एक समीर कुलकर्णी ने गुरुवार को आरोप लगाया कि कांग्रेस नेता सोनिया गांधी और राहुल गांधी ने एनसीपी (एसपी) प्रमुख शरद पवार और अन्य के साथ मिलकर 2009 के आम चुनावों को प्रभावित करने के लिए भगवा ध्वज को बदनाम करने की साजिश रची थी।
विशेष एनआईए कोर्ट के फैसले से पहले पत्रकारों से बात करते हुए कुलकर्णी ने दावा किया कि यह मामला राजनीतिक साजिश का है, जिसका मकसद देशभक्तों और धार्मिक हस्तियों की छवि को खराब करना था।
कुलकर्णी के अलावा, भाजपा नेता और पूर्व सांसद प्रज्ञा ठाकुर और लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित उन सात आरोपियों में शामिल हैं जिन पर मुकदमा चल रहा है। अन्य आरोपियों में मेजर (सेवानिवृत्त) रमेश उपाध्याय, अजय राहिरकर, सुधाकर द्विवेदी और सुधाकर चतुर्वेदी शामिल हैं।
कुलकर्णी ने कहा कि पिछले 17 साल से हम इस दिन का इंतजार कर रहे हैं। मुझे भारत की स्वतंत्र और निष्पक्ष अदालत पर पूरा भरोसा है कि यह हमारी बेगुनाही पर मुहर लगाएगी। जो सच्चाई हमें पहले दिन से पता थी, जो तत्कालीन यूपीए सरकार और जांच एजेंसी को पता थी, वही सच्चाई है। आज पूरी दुनिया इसे जान लेगी।
कुलकर्णी ने आरोप लगाया कि जांच सरकार के दबाव में की गई। उन्होंने कहा कि आजादी के बाद पहली बार देशभक्तों, धार्मिक लोगों और संतों को आतंकवादी कहा गया।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने हमारे विश्वास के प्रतीक, पवित्र भगवा और हिंदू शब्दों को विश्विक मंच पर बदनाम किया। मुख्य आरोपी शरद पवार, दिग्विजय सिंह, सुशील कुमार शिंदे, शिवराज पाटिल, शकील अहमद पटेल, सोनिया गांधी और राहुल गांधी हैं, जिन्होंने 2009 के आम चुनाव को ध्यान में रखकर यह साजिश रची।
लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित के साथ हुए व्यवहार की निंदा करते हुए उन्होंने कहा कि एक कर्तव्यनिष्ठ सैन्य अधिकारी, जिसने देश की सेवा की, उसे आरोपी बना दिया गया। एक रिटायर्ड सैन्य अधिकारी को आतंकवादी करार दिया और 1993 के मुंबई धमाकों के बाद लोगों की जान बचाने वाले अधिकारी के 17 साल बर्बाद कर दिए।
कुलकर्णी ने मामले में गंभीर अनियमितताओं का आरोप लगाते हुए दावा किया कि इस केस में इतनी गड़बड़ियां की गई हैं जितनी पहले कभी नहीं देखी गईं। मूल एफआईआर, हलफनामा और इकबालिया बयान गायब हैं।
केस से जुड़े गवाह के बयान में खामियों की ओर इशारा करते हुए कुलकर्णी ने कहा, “एटीएस के मुख्य गवाह ने अपने बयान में कहा था कि उसे उस दिन की घटनाओं के क्रम पर भरोसा नहीं था।”
उन्होंने कांग्रेस पर आरोप लगाया कि हिंदू वोटरों के समर्थन से दशकों तक सत्ता में रहने के बावजूद पार्टी ने हिंदू समाज के साथ विश्वासघात किया।
उन्होंने कहा कि कोई भी व्यक्ति दुनिया में होने वाले बम धमाकों का समर्थन नहीं कर सकता। ये कायराना हमले हैं। इन अपराधियों को तुरंत सजा मिलनी चाहिए थी। लेकिन इस मामले का इस्तेमाल राजनीति के लिए किया गया। 17 साल तक टैक्सपेयर्स का पैसा बर्बाद हुआ। इसके लिए जिम्मेदार कौन है?”