सांप्रदायिक हिंसा के बाद तेलंगाना में सुरक्षा कड़ी

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हैदराबाद, 16 जून (आईएएनएस)। तेलंगाना के मेडक में शनिवार रात दो समुदायों के बीच हिंसक झड़प हो गई। इसके बाद तेलंगाना में पुलिस ने सुरक्षा कड़ी कर दी। इसके साथ ही अतिरिक्त बल तैनात किए गए हैं।

हिंसा का कारण एक विशेष समुदाय के लोगों की ओर से की जा रही गौ तस्करी को माना जा रहा है।

पुलिस ने रविवार को बताया कि गश्त बढ़ा दी गई है। संवेदनशील इलाकों में चौकियां तैनात की गई हैं। अब स्थिति शांतिपूर्ण है। पड़ोसी जिलों से अतिरिक्त सुरक्षा बल शहर में भेजे गए हैं।

पुलिस महानिरीक्षक एवी. रंगनाथ स्थिति पर नजर रखे हुए हैं। उन्होंने लोगों से शांति बनाए रखने और पुलिस का सहयोग करने की अपील की। साथ ही चेतावनी दी कि शांति-सौहार्द बिगाड़ने वाले उपद्रवियों को बख्शा नहीं जाएगा।

बताया जाता है कि हिंसा तब शुरू हुई जब एक समूह ने ईद-उल-अजहा पर कुर्बानी के लिए रखे गए जानवरों को छुड़ाने का प्रयास किया। इस बीच दो समूहों में झड़प हो गई, जिसमें कुछ लोग घायल हो गए।

बाद में लाठी-डंडों से लैस भीड़ सड़कों पर निकली। दुकानों और व्यापारिक प्रतिष्ठानों पर हमला किया गया। पुलिस ने भीड़ को तितर-बितर करने के लिए लाठीचार्ज किया।

इस घटना में सात लोग घायल हो गए। उनमें से चार को हैदराबाद ले जाया गया और एसरा अस्पताल में भर्ती कराया गया।

एआईएमआईएम के अध्यक्ष और हैदराबाद सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने मामले के संबंध में पुलिस महानिदेशक रवि गुप्ता और आईजी रंगनाथ से बात की।

हैदराबाद के कारवां निर्वाचन क्षेत्र से एआईएमआईएम विधायक कौसर मोहिउद्दीन ने एसरा अस्पताल में घायलों से मुलाकात की।

उन्होंने कहा कि पार्टी मेडक में शांति सुनिश्चित करेगी और सभी घायलों को अच्छा उपचार उपलब्ध कराएगी, चाहे उनका धर्म कुछ भी हो।

भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) के कार्यकारी अध्यक्ष केटी रामा ने रविवार को कहा कि पिछले 9.5 वर्षों से तेलंगाना में कोई सांप्रदायिक हिंसा नहीं हुई है।

उन्होंने मजलिस बचाओ तहरीक (एमबीटी) के नेता अमजद उल्लाह खान के पोस्ट पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “अब कांग्रेस सरकार में न तो कोई कानून है और न ही कोई व्यवस्था। यह वाकई शर्मनाक है कि एक शांतिपूर्ण शहर मेडक, जहां पहले कभी कोई सांप्रदायिक गतिविधि नहीं हुई, अब गंदगी में तब्दील हो गया है।”

अमजद खान ने आरोप लगाया कि जब से ए. रेवंत रेड्डी ने मुख्यमंत्री का कार्यभार संभाला है, सांप्रदायिक तत्वों को मुसलमानों पर हमला करने और उनकी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने की खुली छूट दे दी गई है। पुलिस मूकदर्शक बनी हुई है।